क्या खूब तर्कसंगत एवं मनोवेग्यानिक विवेचन किया गया है । सम सामयिक एवं अत्यावश्यक है सोचना इस पर कि हम तथा समाज व मानवता कहाँ भागी जारही है तथा क्यों ,किसलिए ?
"इस दौरे भागम- भाग मैं ,सिजदे मैं प्यार के ,
कुछ पल झुकें तो इससे बढ़ कर ज़िंदगी नहीं ।" --श्याम
ब्लॉग आर्काइव
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
शनिवार, 24 जनवरी 2009
पञ्च मकार -हिन्दुस्तान -२४-०१-०९
खुशवंत सिंह लिखते हैं -शास्त्रों मैं पञ्च मकार --काम, क्रोध, लोभ , मोह ,अंहकार ---ये सब 'म' से कहाँ प्रारंभ होते हैं , फ़िर मकार कैसे ? वाम मार्गी लोगों के पञ्च मकार तो पढ़े व सुने हैं , मांस ,मैथुन ,मत्स्य ,मध्य ,मुद्रा ---
उपरोक्त कहाँ लिखे हैं ,कोई बताएगा?
उपरोक्त कहाँ लिखे हैं ,कोई बताएगा?
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