....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
श्याम स्मृति-१९ ..त्रिदेव ..
यदि त्रिदेव या ईश्वर सिर्फ कल्पना ही है तो किसने की इतनी सुन्दर कल्पना और उस कल्पना का शिल्पी क्या त्रिदेव से कम होगा | कहानीकार, कथाकार, साहित्यकार, कवि व उनकी कल्पनाओं को हम जाने क्या क्या उपमाएं देते रहते हैं | तो इस परिकल्पना का अनादर क्यों ?