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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

रविवार, 31 मार्च 2019

केदारनाथ जलप्रलय ---माता प्रकृति का श्राप एवं जगत पिता द्वारा दिया गया दंड ---डा श्याम गुप्त

                            ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

केदारनाथ जलप्रलय ---माता प्रकृति का श्राप एवं जगत पिता द्वारा दिया गया दंड ---

      वह सर्वश्रेष्ठ, जगतपिता अपनी सुन्दरतम सृष्टि, प्रकृति के विनाश के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना, अपने पुत्र मानव को भी नहीं छोड़ता उसके अपराधों का दंड देने से, जब वे प्रकृति के साथ ही मानवता एवं स्वयं के ही विनाश का कारण बन रहे होते हैं, अपने लोभ, लालच एवं दुष्प्रवृत्तियों द्वारा ईश्वरीय नियमों के विपरीत कृतित्वों के कारण | तभी तो वह परमात्मा है, पिता है, न्यायकारी पुरुष है | और उसके दंड का स्वरूप मानव जाति के भयावह विनाश के रूप में दृश्यमान होता है, समय-समय पर, जिसे हम जल-प्रलय, महा जल-प्रलय के रूप में जानते हैं |

         विश्व की लगभग सभी देश-संस्कृतियों के पौराणिक-इतिहास में वर्णित, हिंदू, ग्रीक, बेबीलोनियन, ईसाई, मुस्लिम, माया अथवा अन्य देशों एवं विश्व भर के कबीलों व जनजातियों की कथाओं में वर्णित महा जल-प्रलय में समस्त विश्व के विनाश की घटना इसी दंड का कारण व उदाहरण है |

    इस प्रक्रिया में वह दयालु जगत पिता किसी एक ऐसे व्यक्ति का चयन 

करता है जो सज्जन व भलाई पर चलने वाला होता है, चाहे वह 

मनु हो या नोआ या नूह, उतनापिष्टिम, ड्युकेल्यन | 
२०१३ से पहले  अतिक्रमण से ग्रस्त केदारनाथ ..व जलप्रलय के बाद 


महाजलप्रलय 

महा जलप्रलय का दृश्य 


केदारनाथ २०१४ के बाद --पुनः सृजन 


एक और मनु ---पुनः सृजन 

           परमात्मा उन्हें निर्दिष्ट करता है एक बड़ी नौका या बक्सा या बेड़ा बनाने को ताकि वह स्वयं जीवित रह सके एवं उसमें तमाम प्रकृति
, प्राणियों के संवर्धन के लिए बीज रूप रखे जा सकें, पुनर्सृष्टि हेतु ताकि मानव जाति व प्रकृति का समूल उच्छेद न हो पाए |

       जीवित बचने पर व पुन: सृष्टि पर मानव यह वचन देता है कि वह अब कभी ईश्वर के रास्ते से नहीं हटेगा | बाइबिल कथा के अनुसार ईश्वर भी बचन देता है कि वह कभी विनाश नहीं करेगा जिसके प्रमाण स्वरुप वह इन्द्रधनुष की रचना करता है, ताकि मानव को भी अपना बचन याद रहे |

      केदारनाथ जलप्रलय में महाविनाश को देखते हुए लगता है कि ईश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी थी | परन्तु क्यों …? आखिर क्यों वह दयालु मानव के इतने भीषण व क्रूर विनाश का कारण बना | निश्चय ही मानव ने भी अपना बचन नहीं निभाया |

       पावन भूमि पर प्रकृति का सौन्दर्य भुलाकर अनैतिक, गैर कानूनी खनन, गैर कानूनी तौर पर बनाए गए भवन, बिल्डिंगें, कौमर्सियल-काम्प्लेक्स, मल्टीस्टोरी भवन निर्माण, जंगलों का विनाश, वन प्राणियों प्राकृतिक आवास को उजाड़ना, आदि के रूप में नैतिक मूल्यों से गिरे हुए मानव ने अपने ईश्वर को भुलाकर अनैतिक विचारों, कृत्यों, दुष्कृत्यों द्वारा अपना बचन तोड़ा | जिनके ऊपर विभिन्न दायित्व थे उन्होंने अपने दायित्व नहीं निभाये |

     अति-आधुनिकता, अंधाधुंध अति-विकास के लिए लोभ, लालच अनैतिक कृत्यों से मानव ने प्रकृति के नियमों का उल्लंघन किया और उसके विनाश का कारण बना | अतः प्रकृति ने उसे अपने घुटनों पर लाना श्रेयस्कर समझा | ईश्वरेच्छा और प्रकृति के भीषण रूप की एक और झलक, केदारनाथ की जलप्रलय के रूप में प्रस्तुत हुई |

        यदि हम अब भी न जागे एवं समाज, राष्ट्र-धर्म, मानवता व आचरण के प्रति अपने दूषित विचारों, प्रकृति व पर्यावरण विरोधी अनैतिक कृतित्वों, से बाज न आये तो शायद उन्हीं पौराणिक महाजलप्रलय के अनुरूप एक और महाविनाश को आमंत्रण देरहे होंगें | हम समय रहते संभल जाएँ, पता नहीं इस बार कोइ मनु, नोआ या नूह मिलेगा भी या नहीं |

       पिछले पापों के घट भर जाने के कारण केदारनाथ महाजल-प्रलय त्रासदी १६ जून,२०१३ में 

घटित हुई और उस..... परमपिता ने इस बार भी क्या किसी सज्जन और 

भलाई की राह चलने वाले व्यक्ति को चुना है, क्या परिवर्तन हुए 

२०१३ के पश्चात भारत व विश्व में, भारत से कौन सी विशिष्ट

शख्सियत उभर कर आई है विश्व पटल पर सन २०१४ में ? 

      आप स्वयं ही सोचें व निर्णय करें |