....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
यूं तो लोकपाल बिल पर अन्ना के समर्थन में समस्त देश है | यद्यपि बढे व अनुभवी लोग सदा ही किसी भी जन आंदोलन की अगुवाई करते हैं परन्तु किसी भी आंदोलन की सफलता के मूल में जब तक युवाओं के शक्ति नहीं होती वह आगे नहीं बढ़ सकता एवं सफलता के भी गारंटी नहीं होती | यह अत्यंत ही हर्ष की बात है कि आज देश का युवा पूर्ण रूप से अन्ना के समर्थन में है ...इससे यह निश्चय ही सिद्ध होता है कि देश का युवा मूलतः भ्रष्टाचार/ अनाचार के विरुद्ध है परन्तु उसे दिशा दिखाने वाला तो कोई हो , यह आगे आने वाले समय के प्रति आशा का शुभ-संदेश है | इसी प्रकार समाज का आधा भाग---स्त्री शक्ति द्वारा , किसी भी आंदोलन या सामाजिक कार्य में क्रियात्मक योगदान के बिना कोई भी मुहीम सम्पूर्ण नहीं होती ...वह ही तो पुरुष व युवा की मूल प्रेरणा दायी शक्ति होती है | अन्ना आंदोलन के साथ नारी-शक्ति योगदान एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु है जो निश्चय ही यह संदेश का वाहक है कि अब देश भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिये तैयार है |
जन रैली |
आशियाना, लखनऊ में अन्ना-रैली |
महिला शक्ति |
अन्ना के तेवर |
आज युवा व महिलाओं व जन जन के महा समर्थन व सड़क पर आकर स्वतः-भूत विभिन्न कार्यक्रमों से- हम व जिस पीढ़ी ने स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग नहीं लिया या नहीं देखा बस सुना -पढ़ा ही है वे अनुमान लगा सकते हैं कि महात्मा गांधी की अगुवाई में एवं क्रांतिकारियों के समर्थन व सरफरोशी के उस युग में जन जन की क्रान्ति का यही रूप रहा होगा | यद्यपि विदेशी शक्ति के विरुद्ध व लाठी-गोली खाना निश्चय ही कठिन रहा होगा परन्तु वास्तविक भावात्मक रूप में अपनों , अपनी सरकार के विरुद्ध लड़ना निश्चय ही कठिन होता है और इसके लिये ...देश की युवा व नारी शक्ति को पुनः पुनः सलाम....|
परन्तु यह स्थिति आई ही क्यों ? वास्तव में विश्व के इतने बड़े जन आंदोलन /क्रान्ति की सफलता के पश्चात हम गांधीजी व क्रांतिकारियों के मूल उद्देश्य व राहों को भूल गए और हम हमारी तत्कालीन पीढ़ी व सरकारें आज़ादी के फल खाने में व्यस्त होगई | संस्कृति, देश भक्ति , आचरण, पर हमने युवाओं को कोई दिशा नहीं प्रदान की फलतः देश व समाज अनाचरण व संस्कृति भ्रष्टता व नैतिक पतन की ओर बढता गया | भ्रष्टाचार तो नैतिक पतन का परिणामी प्रभाव व पराकाष्ठा है |
इस वर्त्तमान अन्ना-जन आंदोलन को एक प्रकार की दूसरी क्रान्ति या प्रतिक्रांति कहा जासकता है .....और निश्चय ही हम सब चाहेंगे कि इस शुरूआत के पश्चात हम मूल उद्देश्य व भ्रष्टाचार के मूल कारण -जन जन में व्याप्त अनाचरण, सांस्कृतिक पतन व अकर्मण्यता को भूल न जायं, जिससे हमें लडने के लिए हमें अभी से कृतसंकल्प रहना है | भ्रष्टाचार समाप्ति तो शुरूआत है ...पर शुरूआत तो हो कहीं से हो ...|