.. ..कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
राह में दो पल साथ तुम्हारे बीते उनको ढूढ रहा हूँ |
पल में सारा जीवन जीकर फिर वो जीवन ढूंढ रहा हूँ |
उन दो पल के साथ ने मेरा सारा जीवन बदल दिया था |
नाम पता कुछ पास नहीं पर हर पल तुमको ढूंढ रहा हूँ |
तेरी चपल सुहानी बातें मेरे मन की रीति बन गयीं |
तेरे सुमधुर स्वर की सरगम, जीवन का संगीत बन गयीं |
तुम दो पल जो साथ चल लिए,जीवन की इस कठिन डगर में
मूक साक्षी बनीं जो राहें , उन राहों को ढूंढ रहा हूँ |
पल दो पल में जाने कितनी जीवन-जग की बात होगई |
हम तो, चुप चुप ही बैठे थे, बात बात में बात होगई |
कैसे पहचानूंगा तुमको मुलाक़ात यदि कभी होगई |
तिरछी चितवन और तेरा मुस्काता आनन् ढूंढ रहा हूँ |
मेरे गीतों को सुनकर , तेरा वो वंदन ढूंढ रहा हूँ |
चलते चलते तेरा वो प्यारा अभिनन्दन ढूंढ रहा हूँ |