....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
बहन ही तो भाई का प्रथम सखा होती है |
भाई ही तो बहन का होता है प्रथम मित्र,
बचपन की यादें कैसी मन को भिगोती हैं |
बहना दिलाती याद,ममता की माँ की छवि,
भाई में बहन, छवि पिता की संजोती है |
बचपन महकता ही रहे सदा यूंही श्याम ,
बहन को भाई, उन्हें बहनें प्रिय होती हैं ||
भाई औ बहन का प्यार दुनिया में बेमिसाल,
यही प्यार बैरी को भी राखी भिजवाता है |
दूर देश बसे , परदेश या विदेश में हों ,
एक एक धागे में बसा असीम प्रेम बंधन,
राखी का त्यौहार रक्षाबंधन बताता है |
निश्छल अमिट बंधन, श्याम'धरा-चाँद जैसा ,
चाँद इसीलिये चन्दामामा कहलाता है ||
रंग विरंगी सजी राखियां कलाइयों पर,
देख देख भाई हरषाते इठलाते हैं |
बहन जो लाती है मिठाई भरी प्रेम-रस ,
एक दूसरे को बड़े प्रेम से खिलाते हैं |
दूर देश बसे जिन्हें राखी मिली डाक से,
बहन की ही छवि देख देख मुसकाते हैं |