....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
 
 
 
 
            ब्रज
बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ... 
              
                    
मेरे शीघ्र प्रकाश्य  ब्रजभाषा
काव्य संग्रह ..."
ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ 
गीत,
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श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नव गीत आदि  मेरे
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कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का
संग्रह )
        
रचयिता ---डा श्याम गुप्त 
     
               ---   सुषमा गुप्ता 
प्रस्तुत है .....भाव अरपन .आठ ....मुक्तक ....सुमन -१ व१ ७  .....
     मुक्तक -सुमन १...
'जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई '
दुरदसा लखि भजन की मीरा बहुत रोई |
मूढ़ मैं जानी न सत्ता होगी मोर-मुकुट कभी-
कहें  सत्ताधारी कों सब, मेरो पति सोई ||
मुक्तक--सुमन -६
दुःख कों जीतन कौ है याही एक उपाय ,
कै कबहुं कबहुं दुःख हूँ सिर ओढ़ो जाय |
दरद जीतिबे कौ है सचमुच याही मंतर,
कै दरद दिवानौ बनिकें जीयौ जाय ||
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
