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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

नासिक,पन्चवटी व गोदावरी का राम घाट.....डा श्याम गुप्त ..

                           क्या आप समझ रहे हैं की आपको  किसी सब्जी मण्डी का चित्र दिखाया जा रहा है ? जी नहीं यह सब्जी मण्डी नहीं अपितु आपकी पवित्र , प्रसिद्द नदी गोदावरी का उद्गम स्थल पर प्रसिद्द तीर्थ स्थल नासिक का रामघाट है , जो विश्व प्रसिद्द स्थल , हिन्दुओं के ही नहीं विश्व के पूज्य , आराध्य, जन जन मन में स्थित भगवान  श्री राम की कर्म स्थली व सीता हरण स्थल--पंचवटी भी कहलाता है | देखिये एक दम घाट पर ही नदी के किनारे आलू-प्याज -मसाले -सब्जी का बाजार लगा हुआ है ,जिसका सारा कूड़ा करकट नदी में ही जाता होगा ।                      

               तीसरे चित्र में नदी में व घाटों पर प्लास्टिक के  गिलास,पोलीथीन थेलियाँ आदि का कूड़ा बह रहा है जिससे नदी का जल काला, दुर्गंधित कीचड युक्त दिखाई देरहा है | यह हाल है मुख्य शहर में स्थित नदी व तीर्थ स्थल का जिसके किनारे अनेक प्राचीन मंदिर आदि उपेक्षित अवस्था में यह देख कर आंसूं    बहा रहे हैं |  क्या स्थानीय प्रशासन , धार्मिक संस्थाएं , नेतागण , सामान्य जन   ( जिन्हें भगवान राम , लक्षमण सीता ने अपने जीवन के अमूल्य समय १४ वर्ष  दे कर अकर्मण्यता से दूर करके प्रगति का पाठ पढ़ाया था और अनाचार , अनाचरण से युक्त राक्षस राज  रावण के शासन का अंत करके स्वशासन का मन्त्र दिया था ) इतने कर्म हीन , अकर्मण्य हो गए हैं कि इन महत्वपूर्ण स्थलों को साफ़-सुथरे नहीं रख सकते | क्या केन्द्रीय सरकार व प्रदेश की सरकार समय रहते चेतेगी ताकि यह पवित्र नदी व स्थलों को विलुप्त होने से बचाया जासके |



 अचानक ही मुझे के जी एम सी-लखनऊ  की निश्चेतना विभाग कीअध्य्क्षा  डा चन्द्रा जी का एक कथन याद आने लगता है---"वे (अमेरिका वाले) अपने एक गड्ढे को भी सजा कर पर्यटन स्थल बना कर रखते हैं जबकि हम अपने सुन्दर तम स्थलों को भी मेन्टेन नहीं कर सकते "

               कुछ दूर पर ही इसी गोदावरी के किनारे  अति सुरम्य स्थल पंचवटी पर पर्णकुटी,  सीता गुफा, लक्ष्मण-रेखा, सीताहरण स्थल , शूर्पणखा नासिका-क्षत स्थल व सर्व प्रथम युद्ध --खर-दूषण युद्ध स्थल   आदि विश्व प्रसिद्द घटनाओं के स्थल हैं जो आज भी सुरम्य हैं एवं देख कर उस काल की सुरम्यता-पावन सुन्दरता, प्राकृतिक रमणीयता  की कल्पना से रोमांचित हुआ जा सकता है | ..ऊपर चित्र ४..पन्चवटी का विहंगम  द्रश्य. व ..राम , सीता, लक्ष्मण के कट आउट सामने पहाडी  पर |.-...चित्र ५ गोदावरी राम-घाट पर मय ( माया) शेली का प्राचीन मन्दिर । यहां औटो रिक्शे से ही सिर्फ़ ३० रु सवारी में सारा स्थल घूमा जा सकता है । मूलतः लोग सीधे-साधे व अन्य अधिकान्श स्थलों कीभांति पैसे की लूट नहीं हैं। प्रसाद भी ५-१० रु में देकर ही संतुष्ट हो जाते हैं। पन्चवटी आकर गोदावरी तट की वित्रष्णा कुछ शान्त हो जाती है ।


          नासिक के निकट  ही  ८-१० कि मी कीदूरी पर  त्रयम्बकेश्वर महादेव का ज्योतिर्लिन्ग है । जो भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिन्गों में से एक है ... बायें चित्र ६ ।....वहीं पास में ही हनुमान जी का जन्म स्थल व माता अन्जनी का मायका आन्जनेय ग्राम है --चित्र ७ बायें...।