
विद्या वारिधि ईश |
मुदित भावः मन मुदित हों
दें मंगल आशीष ।
मुदित मन हो मोदमय चित,
भाव मधुमय हो सदा ।
प्रभो ! मोदक सा मधुर मन,
श्याम का हो सर्वदा |
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