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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 3 अक्तूबर 2022

मानव का प्रथम पालना----शोधपरक आलेख कृति ---डॉ श्याम गुप्त

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ..






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Maanav Ka Pratham Paalana पेपरबैक – 24 मार्च 2022

हिंदी संस्करण  इनके द्वारा Dr. Shyam Gupta (Author)


 

 

 

ब्रह्माण्ड, सृष्टि, प्राणी व मानव की उत्पत्ति व प्रसार कहाँ व कैसे पर आधारित विविध आलेख

लेखक के अनुसार, योरोपीय इतिहासकारों ने पूर्वाग्रहवश विश्व इतिहास व संस्कृति को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया, जिसका मूल उद्देश्य पाश्चात्य संस्कृति को उच्च सिद्ध करना, विश्व में पुरातनतम व सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कृति व भारत की सनातनता व वैश्विक प्रभाव को झुठलाना था |

प्रायः योरोपीय विद्वान, मानव का अवतरण अफ्रीका मानते हैं, जबकि श्री गोखले उत्तरी ध्रुव | अन्य विद्वान् व संस्थाएं मानव का अवतरण भारत में मानती हैं जहां से वे समस्त विश्व में फैले | अभी हाल के विभिन्न शोधों व खोजों से मानव की उत्पत्ति के चिन्ह दक्षिणी एशिया में मिले हैं, जहां से वे सारे विश्व में फैले| यह दक्षिणी-एशिया भारत से अन्यथा और कोई हो ही नहीं सकता |

आश्चर्य होता है कि हम इतने वैश्विक विकास के पश्चात भी अभी तक अज्ञान जनित पुरातन योरोपीय ज्ञान एवं भ्रांत अवधारणाओं में जी रहे हैं| पाश्चात्य विद्वान् भारत के प्रति अज्ञान एवं अपनी हेय दृष्टि के कारण आर्यों को भारत के बाहर से आने की गाथा तो कहते रहते हैं परन्तु आज तक यह निश्चित नहीं कर पाए कि वे कहाँ से आये थे| इन भ्रामक अवधारणाओं ने विश्व इतिहास व संस्कृति एवं मानवता का बहुत अहित किया है, जिसे तात्कालिक राजनैतिक लाभ हेतु योजनाबद्ध ढंग से प्रचारित किया गया |

 

प्रोडक्ट का विवरण

·       प्रकाशक :  Namya Press (24 मार्च 2022)

·       भाषा :  हिंदी

·       पेपरबैक :  178 पेज

·       ISBN-10 :  9355450761

·       ISBN-13 :  978-9355450760

·       पढ़ने की उम्र :  15 वर्ष और ज्यादा

·       कंट्री ऑफ़ ओरिजिन :  भारत

 

 




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श्याम स्मृति-----डॉ श्याम गुप्त की पुस्तक---अमेज़न पर

                                    ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

On Amezon.in ---Shyam Smrti परफेक्ट पेपैरबैक – 7 ​दिसंबर 2021-श्याम स्मृति---इनके द्वारा Dr. Shaym Gupta (Author)

परफेक्ट पेपरबैक--₹350.00 

₹70.00 डिलीवरी : सोमवार, 17 जनवरी विवरण

हिन्दी, ब्रजभाषा व अंग्रेज़ी में रचनारत, लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार, कवि, लेखक, कथाकार, उपन्यासकार, समीक्षक, चिन्तक, विचारक तथा सृष्टिएवं प्रेमकाव्यजैसे वैज्ञानिक, वैदिक तथा दार्शनिक महाकाव्य, पौराणिक व महिला सशक्तिकरण पर शूर्पणखाकाव्य-उपन्यास व इन्द्रधनुषउपन्यास, ‘अगीत साहित्य दर्पणजैसी शास्त्रीय लक्षणग्रन्थ, अगीत का छंद विधान रचना एवं ब्रजभाषा में ब्रज-बांसुरीकाव्य और उर्दू काव्य-कला पर कुछ शायरी की बात होजाएएवं पीर ज़माने की तथा मानव आचरण पर वैदिक दृष्टियुत कृति ईशोपनिषद का काव्य-भावानुवादएवं तुम तुम और तुमश्रृंगार व प्रेमगीत जैसी कृतियों के रचयिता, हिन्दी साहित्यविभूषण, साहित्याचार्य महाकवि डा श्यामगुप्त द्वारा रचित प्रस्तुत कृति 


-----‘श्याम-स्मृतिउनके द्वारा विभिन्न विषयों पर अपने स्वतंत्र व नवीन चिंतन एवं विचार-बिन्दुओं का संग्रह है | लघु आलेखों के रूप में ये विचार-बिंदु समाज, राष्ट्र, देश, साहित्य, सभ्यता, संस्कृति, स्व-भाषा, मानव व मानव-आचरण, जीवन, कदाचरण, भ्रष्टाचार, नारी-पुरुष सम्बन्ध, राजनीति, शिक्षा, कला, काव्य, विज्ञान, आधुनिकता, प्रगतिशीलता, भौतिक उन्नति, ईश्वर, प्रेम, दर्शन, अद्यात्म, संसार, धर्म, कर्म, वेद, पुराण, इतिहास, भ्रान्तियाँ, अंधविश्वास, क्रांतियाँ, आदि एवं विभिन्न सम-सामयिक विषयों पर डा श्यामगुप्त की अपनी विशिष्ट स्थापनाएं हैं |





 

श्याम स्मृति --आत्म कथ्य ----डॉ श्याम गुप्त--

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...






 

मेरी नवीन पुस्तक---श्याम स्मृति --डॉ श्याम गुप्त

                       ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... 

डॉ श्याम गुप्त की नवीन पुस्तक----श्याम स्मृति---डॉ. श्याम गुप्त के विचार बिन्दुओं की माला----










 

विविध पंथों मतों द्वारा पाखण्ड विवाद, वेदों की चोरी, ज्ञान का लोप व अज्ञान का प्रसार -डॉ श्याम गुप्त

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

विविध पंथों मतों द्वारा पाखण्ड विवाद, वेदों की चोरी, ज्ञान का लोप व अज्ञान का प्रसार -डॉ श्याम गुप्त
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कल एक #ब्रह्माकुमारी वाले सज्जन परिवार घर आये और बड़ी देर तक प्रेरित करते रहे कि शिव बाबा आपको सतयुग में ले जायेंगे, त्रिदेव को चलाने वाले शिव बाबा हैं | ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़ जाएँ, ७ दिन का ध्यान का कोर्स करलें, गीता श्रीकृष्ण ने नहीं शिव बाबा ने लिखी है, तमाम बातें गीता में गलत लिखी हैं| शास्त्रों में ३३ करोड देवताओं की बात कपोल कल्पित है आदि आदि | कुछ उठने बैठने की सामान्य अच्छी अच्छी बातें जो सभी कहते हैं भी कहते रहे |
मैं सोचने लगा–तुलसी बाबा ने अपनी रामायण में लिखा है ....
हरित भूमि तृण संकुल समुझ परहि नहिं पंथ,
जिमी पाखण्ड विवाद ते, लुप्त होयँ सदग्रंथ |
---अर्थात जब उपजाऊ भूमि पर तमाम तृणसमूह, घास,फूस, पात, पत्तियां उग आती हैं तो रास्ते की पगडंडियाँ भी दिखाई नहीं देतीं जैसे विभिन्न पाखंडो से भरे शास्त्र विरुद्ध समूहों के समाज में उत्पन्न होने से सदग्रंथ---वेद आदि ज्ञान, बुद्धि, विद्या क्रियाएं लुप्त होजाती हैं | यही आज हो रहा है |
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आज कितने पंथ, समूह, वर्ग धार्मिक क्रियाओं के नाम पर उत्पन्न होगये हैं जो शास्त्रों के विरुद्ध प्रचार में लिप्त हैं | घर घर में योगा, सहज योग, अपोनोपोनो, ध्यान, स्वामी, कथावाचक, ईश्वरीय विश्व विद्यालय, इस्कोन, आशाराम बापू, श्री श्री आदि पाखण्ड उत्पन्न होगये हैं जो सनातन धर्म एकांगी तत्त्व के प्रचार अथवा दुष्प्रचार में लिप्त हैं| असंतुष्ट व अतृप्त लोगों को कुछ अच्छी अच्छी बातें व सब्ज बाग़ दिखाकर भटकाते हैं | पुराकाल में जैन व बौद्ध धर्मों ने भी पाखण्ड किया था |
ब्रह्माकुमारी संगठन तो बाकायदा शास्त्रों व गीता का विरोध करता है और बाबा शिव को ईश्वर से ऊपर बताता है | यह सफ़ेद कपड़ों वाला पंथ शायद ईसाइयत का एक नया रूप है सनातन के विरुद्ध नया षड्यंत्र | ये सब सामान्य जन को कुछ अच्छी अच्छी संवेदनापूर्ण बातें एवं व्यक्तिगत परामर्श व सहायता से भ्रमित करते हैं और जन समूह एवं जिनको अपने धर्म व सनातन हिन्दू धर्म के बारे में अधिक ज्ञान नहीं होता उन्हें को कुछ समझ नहीं आता, वे ईश्वर, ज्ञान, विद्या को भूलकर बाबाओं के गुण गान में लग जाते हैं |
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सनातन वैदिक धर्म, वेद, पुराणो शास्त्रों ( अर्थात ज्ञान, विद्या, बुद्धि, तर्क सम्मत व्यवहार ) के विरुद्ध सदा से ही, हर युग में विभिन्न विरोधी पंथ सम्प्रदाय,मत, मज़हब उत्पन्न होते आये हैं जिनके विवाद व पाखण्ड के कारण जनता भ्रमित होती है एवं ज्ञान, विद्या व शिक्षाएं, धर्म आदि कालानुसार लुप्त होजाते हैं, पृथ्वी पर पाप और अधर्म का राज्य होजाता है और फिर –‘यदा यदा हि धर्मस्य...’ के अनुसार उनकी पुनर्स्थापना की जाती है |
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#सतयुग में वेदों को चुराने की घटनाएँ हैं | सतयुग में हयग्रीव नामक असुर द्वारा वेदों को चुराकर सागर में छुपादिया( अर्थात ज्ञान का लोप किया गया ) और मत्स्य रूप में विष्णु भगवान ने उसे मारकर वेदों को पुनः देवताओं को सौंपा, अर्थात समाज में ज्ञान की प्रतिष्ठा की गयी |
जब पणिसमूह द्वारा महर्षि वशिष्ठ की गायें ( ज्ञान, बुद्ध, विद्या, वेद) चुराकर अंधेरी गुफाओं( अज्ञान रूपी अंधकार ) में छुपा दीं तब इंद्र की सहायता से गायों को ढूंढा गया | ज्ञान की प्रतिष्ठापना की गयी|
राजा #रामचंद्र के काल में जब जाबालि ऋषि का शिष्य शम्बूक वेदो के विरुद्ध व नास्तिकता का प्रचार करता था तो अज्ञान फ़ैलाने के कारण राजा राम ने उसे समूल उच्छेद कर दिया था | महाभारत में भी #चार्वाकों को इसी कारण युधिष्ठिर द्वारा दण्डित किया गया था|
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आज भी यही स्थिति है | ये जगह जगह पर उगे हुए जाने कितने पंथ, मज़हब, वर्ग, बाबा लोग समाज को कहाँ लेजारहे हैं, सभी जानते हैं | आज जो अनाचार, दुराचार, विकृतियाँ पनप रहीं हैं उनका कारण यही शास्त्र विरोधी कृत्य हैं|
------- मुस्लिम और ईसाइयत जैसे हिन्दू विरोधी धर्मों के कृत्य इसीलिये वृद्धि पर हैं कि सनातन धर्म को ये पाखण्ड खोखला कर रहे हैं| इन्ही परिस्थितियों के लिए गोस्वामी जी ने लिखा था ---
हरित भूमि तृण संकुल समुझ परहि नहिं पंथ,
जिमी पाखण्ड विवाद ते, लुप्त होयँ सदग्रंथ |