....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
वो एक पल का हसीं पल भी था क्या पल आखिर |
वो हसीं पल था, तेरे प्यार के पल की खातिर |
दर्द की एक चुभन सी है, सुलगती दिल में ,
प्यास कैसी कि चले सहरा को जल की खातिर |
हमने चाही थी दवा, दर्द-ए-दिल के लिए ,
दर्द के दरिया में, डूबे हैं दिल की खातिर |
आप आयें या न आयें हमारे साथ मगर,
जब पुकारोगे, चले आयेंगे दिल की खातिर |
याद आयें तो वही लम्हे वफ़ा जी लेना,
गम न करना,उस प्यार के कल की खातिर |
साथ तुम हो या न हो,सामने आयें जब श्याम,
मुस्कुरादेना उसी प्यार के पल की खातिर ||