ब्लॉग आर्काइव
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
सोमवार, 30 मार्च 2009
राजनीति ,युवा और वरुण गांधी
किसने कहा है कि राजनीति मैं युवाओं को आना चाहिए ? सिर्फ़ कर्म नीति मैं युवाओं के जोश की आवश्यकता है , राजनीति मैं तो वरिष्ठ लोगों को ही आना चाहिए ,जहाँ जोश की अपेक्षा अनुभव ,ज्ञान , हर प्रकार का विद्वतापूर्ण व युक्ति- युक्त सोच -समझ की आवश्यकता है। मंत्री कब युवा होते थे ?इतिहास से सीख न लेने का यही परिणाम होता है ,दिशाहीनता । आज यही हाल राजनीति का है।
सब सुधरेगा
चुनावी महापर्व के घाट पर -हि-३०/३/०९ --मैं समीत ने लिखा है कि
--सब सुधरेगा तीन सुधारे
नेता ,कर, क़ानून हमारे।
--सिर्फ़ अन्यलोग ही क्यों सुधरें ? नेता ,भी आदमी ही हैं ,कर व क़ानून को भी आदमी ही लगाता व देता है । अतः स्वयं आदमी को सुधरना चाहिए ,
-हम सुधरेंगे सब सुधरेंगे ।
------'-आप लड़िये या झगडियऐ
-------दोष चाहे एक दूसरे पर मढ़इये;
-------दोष इसका है ,न उसका है,न तेरा है;
------मुझे शूली पर चढ़ा दो ,
-------दोष मेरा है। '----डाश्याम गुप्ता . (काव्य- मुक्तामृत से )
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--सब सुधरेगा तीन सुधारे
नेता ,कर, क़ानून हमारे।
--सिर्फ़ अन्यलोग ही क्यों सुधरें ? नेता ,भी आदमी ही हैं ,कर व क़ानून को भी आदमी ही लगाता व देता है । अतः स्वयं आदमी को सुधरना चाहिए ,
-हम सुधरेंगे सब सुधरेंगे ।
------'-आप लड़िये या झगडियऐ
-------दोष चाहे एक दूसरे पर मढ़इये;
-------दोष इसका है ,न उसका है,न तेरा है;
------मुझे शूली पर चढ़ा दो ,
-------दोष मेरा है। '----डाश्याम गुप्ता . (काव्य- मुक्तामृत से )
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