धन साधन की रेल में भीड़ खचाखच जाय।
धक्का-मुक्की धन करे, ज्ञान नहीं चढ पाय। १
हम स्वतंत्र अडवांस हैं,मन में गर्व असीम।
किन्तु ढूँढते रहगये, दरवाजे का नीम। २
श्रम आधारित व्यवस्था,जो आश्रम कहलाय।
सुख साधन अभिचार के, अड्डे दिए बनाय। ३
राजनीति में नीति का ,कैसा अनुपम खेळ।
ऊपर से दल विरोधी, अन्दर अन्दर मेल। ४
आरक्षण की आड़ में, खुद का रक्षण होय।
नालायक सुत पौत्र सब, इस विधि लायक होय। ५
सक्षम नारी भी बनें, विज्ञापन बाज़ार।
मज़बूरी है कौन सी, बिकैं खुले बाज़ार। ६
क्यों घबराये हो रही, भ्रष्टाचार की जांच। ७
भ्रष्टाचारी बंधु सब, तुझे न आये आंच ।
ज्ञान हेतु अब ना पढ़ें, पढ़ें चाकरी हेतु।
लक्ष्य नौकरी होगया,लक्ष्मी बनी है सेतु। ८
चाहे पद-पूजन करो,या साष्टांग प्रणाम।
काम तभी बन पायगा, चढे चढ़ावा दाम। ९
मेल परस्पर घटि गयो, वाणिज मन हरसाय।
मेल-मिलाप करायं हम, पानी-दूध मिलाय । १०
पनघट ताल कुआं मिटे, मिटी नीम की छाँह ।
इस विकास की लहर में उजाड़ा सारा गाँव । ११
दानवता से लढ़ रहे, सज्जन अजहुँ तमाम।
श्याम' आज भी चल रहा, देवासुर संग्राम॥ १२
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- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
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