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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

बड़े खुश हैं आप----




बड़े खुश हैंआप, हम, सब --ये क्या देख- दिखारहे हैं हम सब,क्या दिखा-सिखा रहे हैं बच्चों को , सामान्य जन को , क्या यही है आने वाले देश की तस्वीर, नंगी तस्वीर? क्या ये सब भड़काऊ, कामनाएं उभारू, अच्छे खासे को बिगाडू तस्वीरें नहीं हैं ? फिर देश, समाज, दुनिया में झगड़े, हिंसा, बलात्कार , नारी-हिंसा , नारी के निंदनीय कर्म में लिप्तता को बढ़ावा दें तो किसका दोष ; तिस पर तुर्रा यह कि हम प्रगतिशील हैं, महिला स्वतन्त्रता के अलमबरदार |---क्या सोच रहे हैं आप........आखिर महिला-नारी स्वतन्त्रता का नाम-काम -नंगी तस्वीरों से ही क्यों शुरू होता है -ख़त्म होता है; क्या अन्य बड़े-बड़े कार्य जो महिलाएं करतीं हैं वे कम हैं समाचारों , चित्रों में दिखाने के लिए , जो एसे चित्रों की आवश्यकता पड़ जाती है।





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