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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

संथारा -- कायरतापूर्ण आत्महत्या है ---ड़ा श्याम गुप्त

                        ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...



             बात अन्न जल त्यागने की संथारा की है तो आत्मा के रूप में शरीर में ब्रह्म के उपस्थिति मानी जाती है , शरीर को स्वयं पिंड अर्थात ब्रह्माण्ड का ही रूप माना जाता है | कोई भी ज्ञानी से ज्ञानी नहीं जानता कि मृत्यु कब निश्चित है , अतः अन्न जल छोड़कर तिल तिल कर शरीर को मारना एवं आत्मा को कष्ट देना एवं शरीर को जान  बूझकर अक्षम बनाते जाना , अकर्मण्यता, कायरता, कर्म से दूर भागने का चिन्ह है , वीरों का कृत्य नहीं | वीरों का कृत्य तो स्वस्थ्य शरीर के होते हुए  तुरंत जल समाधि लेलेना या भूमि समाधि लेना है |
                     अतः हाईकोर्ट का निर्णय उचित ही है | राजनीतिक या जन दबाव में अथवा उच्चतम न्यायालय से कुछ भी निर्णय हो, परन्तु संथारा निश्चय ही अमानवीय, कायरतापूर्ण कृत्य है, आत्महत्या है | जैन समाज आत्ममंथन करे , यह उचित अवसर है अपने पंथ को नवीनता देने का || घिसे पिटे तथ्यों परम्पराओं पर घिसटकर न चलता रहे |

श्याम स्मृति 1.......यह भारत देश है मेरा ..

                                ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...



श्याम  स्मृति 1.......यह भारत देश है मेरा ..
                 यह भारतीय धरती वातावरण का ही प्रभाव है कि मुग़ल जो एक अनगढ़, अर्ध-सभ्यबर्बर घुडसवार आक्रमणकारियों की भांति यहाँ आये थे वे सभ्य, शालीन, विलासप्रिय, खिलंदड़े, सुसंस्कृत लखनवी -नजाकत वाले लखनऊआ नवाब बन गए | अक्खड-असभ्य जहाजी ,सदा खड़े -खड़े , भागने को तैयार, तम्बुओं में खाने -रहने वाले अँगरेज़ ...महलों, सोफों, कुर्सियों को पहचानने लगे |

               यह वह देश है जहां प्रेम, सौंदर्य, नजाकत, शालीनता... इसकी  संस्कृति, में रचा-बसा है,   इसके जल  में घुला है, वायु में मिला है और खेतों में दानों के साथ बोया हुआ रहता हैप्रेम-प्रीति यहाँ की श्वांस  है और यहाँ के हर श्वांस प्रेम है |

             यह पुरुरवा का, कृष्ण का, रांझे का, शाहजहां का और  ताजमहल का देश है.....|