....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
दोस्त सब एक से कब होते हैं |
कुछ अपने लगते हैं, नहीं होते हैं |
मिल गए आप तो हमने ज़ाना ,
दोस्त कुछ आपसे भी होते हैं |
सितारे आस्मां पर ही नहीं खिलते ,
कुछ सितारे जमीं पर भी होते हैं |
दोस्त बस हंसते-खेलते ही नहीं ,
कुछ दोस्त दर्दे-दिल भी पिरोते हैं |
दोस्त के दुःख दर्द कठिन घड़ियों में ,
दोस्त भी साथ -साथ होते हैं |
दर्द बांटना आसाँ नहीं है 'श्याम ,
दर्दे-दिल दोस्त ही संजोते हैं ||
दोस्त सब एक से कब होते हैं |
कुछ अपने लगते हैं, नहीं होते हैं |
मिल गए आप तो हमने ज़ाना ,
दोस्त कुछ आपसे भी होते हैं |
सितारे आस्मां पर ही नहीं खिलते ,
कुछ सितारे जमीं पर भी होते हैं |
दोस्त बस हंसते-खेलते ही नहीं ,
कुछ दोस्त दर्दे-दिल भी पिरोते हैं |
दोस्त के दुःख दर्द कठिन घड़ियों में ,
दोस्त भी साथ -साथ होते हैं |
दर्द बांटना आसाँ नहीं है 'श्याम ,
दर्दे-दिल दोस्त ही संजोते हैं ||