....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
आज से ७५ वर्ष पहले जो भूल की गयी थी उसके दुष्परिणाम आज भी देखने को मिल रहे हैं | मतभेद भुलाने हेतु खान अब्दुल गफ्फार खान को वास्तव में अपने भाषण में 'राम सेना' व 'खुदाई खिदमतगार' बनने की सलाह की बजाय सभी को " राष्ट्र सेवक" बनकर आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने का आव्हान करना चाहिए था | जहां राष्ट्र की बात होती है वहाँ राम व खुदा के नाम का प्रयोग क्यों | धर्म का नाम ही नहीं आना चाहिए |
आज से ७५ वर्ष पहले जो भूल की गयी थी उसके दुष्परिणाम आज भी देखने को मिल रहे हैं | मतभेद भुलाने हेतु खान अब्दुल गफ्फार खान को वास्तव में अपने भाषण में 'राम सेना' व 'खुदाई खिदमतगार' बनने की सलाह की बजाय सभी को " राष्ट्र सेवक" बनकर आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने का आव्हान करना चाहिए था | जहां राष्ट्र की बात होती है वहाँ राम व खुदा के नाम का प्रयोग क्यों | धर्म का नाम ही नहीं आना चाहिए |