....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
यूँ तो गणेश के जाने कितने नाम हैं रूप हैं ...अनंत | एक पञ्चमुखी व बाल रूप रूप प्रस्तुत है | गणेश सिर्फ गौरी पुत्र गणेश नहीं है अपितु वस्तुतः गणेश -- आदि- मूल प्राण-शक्ति है...यह विज्ञान का प्राण नहीं, ब्रह्माण्ड की मूल प्राण-शक्ति जो प्रत्येक तत्व ( भौतिक या अभौतिक, चेतन या अचेतन ) को आपस में बांधती है ....जिससे आगे कार्य संपादक शक्ति का प्रादुर्भाव होता है | वेदों में कहागया है....
. "निषु सीद गणपति गणेषु त्वमाहुर्विप्रतमंकवीनां, न ऋते त्वत क्रियते किन्चनारे महामर्क मघवच्चित्रमर्च |" अर्थात हे गणपति आप अपने समूह (गणों- अर्थात प्रत्येक कार्य-समूह के संधि स्थल पर ) में विराजें, कवि ( विद्वान जन ) आपको अग्रगण्य कहते हैं, विश्व की कोई भी क्रिया कहीं भी आपके बिना नहीं होती | तथा....अतः..." गणानां त्वा गणपति हवामहे" .... हे गणों के पति आपका आवाहन करते हैं| इसीलये वे प्रथम-पूज्य हैं, सर्व-पूज्य हैं, सर्वत्र पूज्य हैं.........
गणपति गणेश....
तुच्छ जीव है मूषक लेकिन, पहुँच हर जगह है उसकी |
सबका हो कल्याण, ॐ से सजे हस्त से वर देते |
यूँ तो गणेश के जाने कितने नाम हैं रूप हैं ...अनंत | एक पञ्चमुखी व बाल रूप रूप प्रस्तुत है | गणेश सिर्फ गौरी पुत्र गणेश नहीं है अपितु वस्तुतः गणेश -- आदि- मूल प्राण-शक्ति है...यह विज्ञान का प्राण नहीं, ब्रह्माण्ड की मूल प्राण-शक्ति जो प्रत्येक तत्व ( भौतिक या अभौतिक, चेतन या अचेतन ) को आपस में बांधती है ....जिससे आगे कार्य संपादक शक्ति का प्रादुर्भाव होता है | वेदों में कहागया है....
पंचमुखी गणेश |
बाल गणेश |
गणपति गणेश....
लम्बी सूंड कान पन्खे से, छोटी छोटी आँखें हैं |
हाथी जैसा सर है जिनका,एकदंत कहलाते हैं ||
मोटा पेट हाथ में मोदक, चूहे की है बनी सवारी |
ओउम् कमल औ शंख हाथ में,माथे पर त्रिशूल धारी ||
ये गणेश हैं गणनायक हैं,सर्वप्रथम पूजे जाते |
क्यों हैं एसा वेष बनाए,आओ बच्चो बतलाते ||
तुच्छ जीव है मूषक लेकिन, पहुँच हर जगह है उसकी |
पास रखें ऐसे लोगों को,एसी कुशल नीति जिसकी ||
सूक्ष्म निरीक्षण वाली आँखें, सबकी सुनने वाले कान |
सच को तुरत सूंघ ले एसी, रखते नाक गणेश सुजान ||
बड़े भेद औ राज की बातें, बड़े पेट में भरी रहें |
शंख घोष है,कमल सी मृदुता,कोमल मन में सजी रहें ||
सबका हो कल्याण, ॐ से सजे हस्त से वर देते |
मोदक का है अर्थ,सभी को प्रिय कहते,प्रिय कर देते ||
अमित भाव-गुण युत ये बच्चो!,रूप अनेकों सजते |
कभी नृत्य-रत,कभी खेल रत,कभी ग्रन्थ भी लिखते ॥
ऐसे सारे गुण हों बच्चो! वे ही नायक कहलाते |
ऐसे सारे गुण हों बच्चो! वे ही नायक कहलाते |
हैं गणेश देवों के नायक,सर्वप्रथम पूजे जाते ||
- चित्र ..गूगल एवं ..निर्विकार श्याम ....साभार..
- चित्र ..गूगल एवं ..निर्विकार श्याम ....साभार..