....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
६१ वर्ष में न जाने कितनी सरकारें आईं व गईं ...परन्तु भ्रष्टाचार बढ्ता ही गया व बढ्ता जारहा है...अतः भ्रष्टाचार कोई राजनैतिक मामला नहीं है, अपितु मानवीय आचरण का मामला है। जिस प्रकार से कान्ग्रेस व मनमोहन सिन्ह सरकार पर आक्षेप लगाये जारहे हैं ( क्योंकि संयोग से इस सरकार के विरुद्ध ही तमाम मामले उजागर हुए हैं एवं अधिकान्श समय कान्ग्रेस सरकार ही सत्ता में रही है, इससे क्या अन्य सरकारें क्या कर रहीं थीं ), एवं लोकपाल को सर्व-समर्थ बनाने की बात की जारही है, इससे लगता है कि इसे एक राजनैतिक मामला माना जा रहा है । क्या गारन्टी है कि लोकपाल स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हो जायगा । क्या आज कोई एसा व्यक्ति है सरकार, शासन, प्रशासन,जनता कहीं भी जिसे माना जाय कि वह भ्रष्ट नहीं हो जायगा।....साफ़-सुथरे पूर्व राष्ट्रपति कलाम/ प्रधान मन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी-- क्यों नहीं इस मसले पर आगे आये ?
६१ वर्ष में न जाने कितनी सरकारें आईं व गईं ...परन्तु भ्रष्टाचार बढ्ता ही गया व बढ्ता जारहा है...अतः भ्रष्टाचार कोई राजनैतिक मामला नहीं है, अपितु मानवीय आचरण का मामला है। जिस प्रकार से कान्ग्रेस व मनमोहन सिन्ह सरकार पर आक्षेप लगाये जारहे हैं ( क्योंकि संयोग से इस सरकार के विरुद्ध ही तमाम मामले उजागर हुए हैं एवं अधिकान्श समय कान्ग्रेस सरकार ही सत्ता में रही है, इससे क्या अन्य सरकारें क्या कर रहीं थीं ), एवं लोकपाल को सर्व-समर्थ बनाने की बात की जारही है, इससे लगता है कि इसे एक राजनैतिक मामला माना जा रहा है । क्या गारन्टी है कि लोकपाल स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हो जायगा । क्या आज कोई एसा व्यक्ति है सरकार, शासन, प्रशासन,जनता कहीं भी जिसे माना जाय कि वह भ्रष्ट नहीं हो जायगा।....साफ़-सुथरे पूर्व राष्ट्रपति कलाम/ प्रधान मन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी-- क्यों नहीं इस मसले पर आगे आये ?
यद्यपि पहल को अच्छा ही कहा जायगा, कहीं से तो पहल हो । हां जब तक राजनैतिक इच्छाशक्ति के साथ ,आमूल चूल रूप में मानवीय आचरण सुधारने के , सांस्कृतिक सुधार के, स्वयं जन जन स्वयं को सुधारने के उपाय नहीं किये जाते ..भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता |
2 टिप्पणियां:
तर्क कुतर्क विवाद वितण्डा,
इन सबमें रोया है झण्डा।
क्या बात है पान्डे जी...झन्डा के माध्यम से देश की दशा का चित्रण....सुन्दर..
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