( पद हिन्दी साहित्य ,विशेष कर भक्ति साहित्य का एक विशिष्ट छंद है , जो मूलतः भक्ति -गीत के ताल-लय पर आधारित होता है ,भक्त शिरोमणि सूरदास, तुलसीदास आदि भक्त कवियों ने इसे बहुत मनोयोग से इसे प्रयोग किया है , देखिये डा श्यामगुप्त का एक पद ---)
सुअना मन के भरम परे |
जैसा अन्न हो जैसी संगति, सोई धर्म धरे |
संतन डेरा बास करें जे, राम नाम सुमिरे |
अन्न भखै गणिका के घर ते, दुष्ट बचन उचरे |
परि भुजंग मुख बने गरल,और मोती सीप परे |
परै केर के पात स्वाति जल,बनि कपूर निखरे |
दीपक गुन बनि करै उजेरो , चरखा सूत बुने |
सो कपास,संग अनल-अनिल के,घर को भसम करे|
काम क्रोध मद मोह लोभ ,अति बैरी राह खड़े |
ये सारे मन के गुन सुअना ! तिरगुन भरम भरे |
चित चितवन चातुर्य विषय वश ,कर्म-कुकर्म करे|
माया मन की सहज वृत्ति ,मन सुगम राह पकरे |
काल उरग साए में सब जग,भ्रम वश प्रभु बिसरे |
एक धर्म रघुनाथ नाम धारे भव- सिन्धु तरे ||
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
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- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
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3 टिप्पणियां:
Realy Great....
Thanks for posting this nice 'PADY'.
prayog ke liye badhaai ke patra hain aap
kyaa baat hai
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