सत्य ,सत्य-कथा, कथा, कल्पित -कथा ,गल्प,व असत्य कथा-कहानी
अब बताइये , आपके टी वी पर धारावाहिक कथा आरही है साथ ही एक सूचना भी-'इस धारावाहिक में दिखाई गयी घटनाएँ व पात्र आदि ,किसी भी देश,काल,पात्र,प्रदेश, समाज,वर्ग, जाति का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं '-
अब कहानी की कहानी यूँ बनती है, पहले वेद-उपनिषद् आदि में घटनाओं का सत्य वर्णन किया जाता था ;पौराणिक काल में सत्य को सोदाहरण कथा रूप में लिखा जाने लगा ,ताकि सामान्य जन समझ सके व उचित राह पर चल सके | फ़िर आगे चलकर कथाओं-गाथाओं का जन्म हुआ जो सत्य-व्वास्ताविक घटनाओं, पात्रों, चरित्रों के आधार पर कहानियां थीं--'एक राजा था', 'एक समय..', 'एक राजकुमार ...' , 'एक दिवस....' , 'काम्पिल्य नगरी में एक धनी सेठ...' , 'एक सुंदर राज कुमारी '.आदि-आदि ,जो समाज व व्यक्ति का दिशा निर्देश करती थीं | बाद में कल्पित चरित्र ,घटनाओं आदि को आधार बनाकर कल्पित कथाएँ व गल्प , फंतासी आदि लिखी जाने लगीं जिनमें सत्य से आगे बढ़ा चढ़ा कर लिखा जाने लगा परन्तु वह किसी न किसी समाज, देश,काल की स्थिति -वर्णन होती थीं और बुराई पर अच्छाई की विजय |
परन्तु आज हमें क्या दिखाया जारहा है,पूर्ण असत्य-कथा -कहानी ,अर्थात - 'इस सीरियल के पात्र, घटनाएँ ,किसी भी देश,काल,समाज,जाति का प्रतिनिधित्व नहीं करते ' अर्थात पूरी तरह से झूठी कहानी ; ऊपर से तुर्रा यह कि हम समाज सेवा कर रहे हैं ,नारी शोषण -उत्प्रीणन के विरोधी स्वर उठा रहे हैं | वाह जी वाह ! ,जब ये सब कहीं हो ही नहीं रहा है तो आप विरोध अथवा सेवा किस की कर रहे हैं ? पहले हवाई किले बनाना ,फ़िर तोड़ना और बीर-बहूटी का खिताब ! या बस अपने देश समाज की बुराई ........| क्या-क्या मूर्खताओं के साए में पल रहे हैं आज-कल हम और हमारी पीढी |
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- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
शनिवार, 24 अक्तूबर 2009
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2 टिप्पणियां:
डाक्टर साहेब
सादर अभिवादन
मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ. टी वी सीरियल की वजह से लोगों ने क्या क्या खोया है ये तो वो खुद भी नहीं जानते है. टी वी सीरियल तो छोडिये समाचार में भी कितना झूठ और फरेब है हमने देखा और भोगा भी है.मेरा एक लघु आलेख khabariya chanel रचनाकार में प्रकाशित भी है.मैं भी बहुत बार सोचती हूँ की इस विषय पर कुछ लिखूं पर समयाभाव के कारण नहीं लिख पाती पर मतलब तो जनता तक बात पहुचाने से है सो पहुच गयी
धन्यवाद
रचना दिक्षित
धन्यवाद रचना जी...
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