....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ..
खुदरा बाजार में ऍफ़ डी आई पर विरोध पर मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कथन है कि.... ...मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला में कई खामियां हैं ,किसानों को उपज का उचित दाम नहीं मिलता....आपूर्ति-तंत्र में अक्षमता , बिचौलिआपन तथा बरबादी है ...कोल्ड स्टोरेज बगैरह की व्यवस्था नहीं है.....आदि आदि....
यदि एसा है तो यह तो आपकी सरकार की ही अक्षमता है | उसे ठीक करने के उपाय की बजाय आप विदेशियों को अपने घर में घुसा लेंगे क्या | फिर तो राजनीति में , नेताओं के चरित्र में , मंत्रियों के कार्यों में जाने कितनी खामियां हैं ...फिर क्यों हम भारतीय लोगों, नेताओं को ही सत्ता पर काविज़ करें , क्यों न विदेशियों को ही चुनाव में खड़ा होने का न्योता दें, क्यों न उन्हें ही नेता, मंत्री, मुख्य-मंत्री, राष्ट्रपति बनने का न्योता व मौक़ा दें ताकि देश की ये सारी समस्याओं का सरल , बिना कष्ट किये , बिना कठिनाई के हल होजाय |
आप सब लोगों का क्या ख्याल है.....
खुदरा बाजार में ऍफ़ डी आई पर विरोध पर मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कथन है कि.... ...मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला में कई खामियां हैं ,किसानों को उपज का उचित दाम नहीं मिलता....आपूर्ति-तंत्र में अक्षमता , बिचौलिआपन तथा बरबादी है ...कोल्ड स्टोरेज बगैरह की व्यवस्था नहीं है.....आदि आदि....
यदि एसा है तो यह तो आपकी सरकार की ही अक्षमता है | उसे ठीक करने के उपाय की बजाय आप विदेशियों को अपने घर में घुसा लेंगे क्या | फिर तो राजनीति में , नेताओं के चरित्र में , मंत्रियों के कार्यों में जाने कितनी खामियां हैं ...फिर क्यों हम भारतीय लोगों, नेताओं को ही सत्ता पर काविज़ करें , क्यों न विदेशियों को ही चुनाव में खड़ा होने का न्योता दें, क्यों न उन्हें ही नेता, मंत्री, मुख्य-मंत्री, राष्ट्रपति बनने का न्योता व मौक़ा दें ताकि देश की ये सारी समस्याओं का सरल , बिना कष्ट किये , बिना कठिनाई के हल होजाय |
आप सब लोगों का क्या ख्याल है.....
7 टिप्पणियां:
सर यह भी एक उचित उपाय है ! अगर ऐसा हुआ तो इसमे भी कालाबाजारी हो जाएगी !
घर मज़बूत कर प्रतियोगिता उचित रहेगी।
सामयिक , सारगर्भित प्रस्तुति, आभार.
कुतर्कों के पैर नहीं होते और न ही होते हैं केश ...
आपने न केवल मॉन्टेकी कुतर्क की पगड़ी उछालकर बताया कि यह गंजा है बल्कि तयम्बत हटाकर भी दिखाया कि यह पंगु भी है.
साधुवाद.
धन्यवाद शा, व शुक्ला जी...
--धन्यवाद पान्डेजी-अब एक प्रतियोगिता हो ही जाय...अच्छा ख्याल है..
--धन्यवाद प्रतुल जी..सही कहा है कुतर्कों के न सिर होता है न पैर....आभार...
डॉ साहब निचोड़ के मारा है कोड़ा इस योजना खार को आपने .
धन्यवाद वीरू भाई जी.....
---जैसा कि शा ने कहा ..यह एक आसान तरीका है विदेशों में भी कालाबाज़ारी फ़ैलाने का....भ्रन्गी कीट की तरह....वैसे भी हमारे एक मन्त्री कह चुके हैं कि हमें अमेरिका देदो हम बिहार बना देंगे...
एक टिप्पणी भेजें