....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
दिल की किताब को पढ़े फुरसत किसे अब यार |
आदमी तो चाँद पर जाने को अब तैयार |
वो चाँद तारे तोड़कर लाने की रस्में कब रहीं ,
अब फलक को ही जमीं पर लाने को हम तैयार |
अब धड़कनों की बात क्या, क्या दिल के दर्द की,
है दर्दे-दिल पै आदमी मिटने को कब तैयार |
ऊपर बहुत ऊपर बहुत ऊपर मैं उठ सकूं ,
उड़ने की चाह में बहुत गिरने को सब तैयार |
सपनों की एक दुनिया में उलझा है आदमी,
कब प्यार के सपनों में भरमाने को वह तैयार |
आतंक का पर्याय गीता,राम इक कल्पित कथा,
इतिहास को ही वह तो झुठलाने को अब तैयार |
विज्ञान के तर्कों से श्रृद्धा-भक्ति सब मजबूर,
भावों के खजाने को लुटाने को हम तैयार |
जब दिल की बात ही नहीं ना दिलरुबा की घात ,
क्या फ़ायदा मिलने को हो सारा फलक तैयार |
है नयी पीढी से गुजारिश आसमां चाहें मगर,
धरती की गज़लें भी रहें गाने को सब तैयार |
भौतिक सुखों में श्रृद्धा भक्ति प्यार लुट चले ,
क्या श्याम' तू भी दर्दे-दिल गाने को अब तैयार ?
दिल की किताब को पढ़े फुरसत किसे अब यार |
आदमी तो चाँद पर जाने को अब तैयार |
वो चाँद तारे तोड़कर लाने की रस्में कब रहीं ,
अब फलक को ही जमीं पर लाने को हम तैयार |
अब धड़कनों की बात क्या, क्या दिल के दर्द की,
है दर्दे-दिल पै आदमी मिटने को कब तैयार |
ऊपर बहुत ऊपर बहुत ऊपर मैं उठ सकूं ,
उड़ने की चाह में बहुत गिरने को सब तैयार |
सपनों की एक दुनिया में उलझा है आदमी,
कब प्यार के सपनों में भरमाने को वह तैयार |
आतंक का पर्याय गीता,राम इक कल्पित कथा,
इतिहास को ही वह तो झुठलाने को अब तैयार |
विज्ञान के तर्कों से श्रृद्धा-भक्ति सब मजबूर,
भावों के खजाने को लुटाने को हम तैयार |
जब दिल की बात ही नहीं ना दिलरुबा की घात ,
क्या फ़ायदा मिलने को हो सारा फलक तैयार |
है नयी पीढी से गुजारिश आसमां चाहें मगर,
धरती की गज़लें भी रहें गाने को सब तैयार |
भौतिक सुखों में श्रृद्धा भक्ति प्यार लुट चले ,
क्या श्याम' तू भी दर्दे-दिल गाने को अब तैयार ?
1 टिप्पणी:
बहुत खूब...
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