....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
'नहीं कोई सीट खाली नहीं है |'
'प्लीज़ सर, बहुत आवश्यक काम है, कंपनी में इंटरव्यू है, जाना तो है ही |'
'अच्छा सोफ्टवेयर कंपनी में इंटरव्यू है, बड़ी सेलेरी मिलेगी | ठीक है मिल जायगी ....५०० लगेंगे |'
'सर, अभी तो ज्वाइन करने जा रहे हैं, ५०० तो बहुत ज्यादा हैं, सेलेरी तो अगले महीने मिलेगी | अभी कहाँ '
'अच्छा ठीक है ३०० में काम हो जायगा | ए सी ३ में चले जाओ |'
एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच में टी टी ई व किसी कंपनी में ज्वाइन करने जारहे प्रशांत के मध्य ये वार्तालाप होरहा था |
सुनकर श्रीमती जी बोलीं , ' भला इस तरह की बातें सुनकर, करके, झेलकर ये बच्चे, नौकरी आदि प्रारम्भ करेंगे तो क्या दिशा क्या सन्देश मिलेगा उन्हें | वे भी यही करेंगे | ये क्या सिखा रहे हैं हम अपनी युवा पीढी को !'
' हर जगह यही तो होरहा है', रमेश जी कहने लगे, 'ये लोग भी तो अपने ऊपरवालों को इसी प्रकार चढ़ावा देकर लम्बी गाडी में पोस्टिंग लेते हैं, तो वे भी यही करते हैं |'
तभी प्रशांत व सुन्दरम की बातें सुनाई पडीं | सुन्दरम ने पूछा, कहाँ ज्वाइन करने जारहे हो ? प्रशांत चहक कर बोला, अरे मैं तो दो साल से सर्विस में हूँ | वह तो बस यूंही टीटीई को वेवकूफ बनाया था | ५०० की बजाय ३०० में ही काम बन गया न |
'नहीं कोई सीट खाली नहीं है |'
'प्लीज़ सर, बहुत आवश्यक काम है, कंपनी में इंटरव्यू है, जाना तो है ही |'
'अच्छा सोफ्टवेयर कंपनी में इंटरव्यू है, बड़ी सेलेरी मिलेगी | ठीक है मिल जायगी ....५०० लगेंगे |'
'सर, अभी तो ज्वाइन करने जा रहे हैं, ५०० तो बहुत ज्यादा हैं, सेलेरी तो अगले महीने मिलेगी | अभी कहाँ '
'अच्छा ठीक है ३०० में काम हो जायगा | ए सी ३ में चले जाओ |'
एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच में टी टी ई व किसी कंपनी में ज्वाइन करने जारहे प्रशांत के मध्य ये वार्तालाप होरहा था |
सुनकर श्रीमती जी बोलीं , ' भला इस तरह की बातें सुनकर, करके, झेलकर ये बच्चे, नौकरी आदि प्रारम्भ करेंगे तो क्या दिशा क्या सन्देश मिलेगा उन्हें | वे भी यही करेंगे | ये क्या सिखा रहे हैं हम अपनी युवा पीढी को !'
' हर जगह यही तो होरहा है', रमेश जी कहने लगे, 'ये लोग भी तो अपने ऊपरवालों को इसी प्रकार चढ़ावा देकर लम्बी गाडी में पोस्टिंग लेते हैं, तो वे भी यही करते हैं |'
तभी प्रशांत व सुन्दरम की बातें सुनाई पडीं | सुन्दरम ने पूछा, कहाँ ज्वाइन करने जारहे हो ? प्रशांत चहक कर बोला, अरे मैं तो दो साल से सर्विस में हूँ | वह तो बस यूंही टीटीई को वेवकूफ बनाया था | ५०० की बजाय ३०० में ही काम बन गया न |
5 टिप्पणियां:
बहुत गहरे भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
Wah!
आप कडुवे सच को उजागर कर रहे हैं,डॉक्टर साहिब.समय की चाल बहुत गहन है.
आखिर कैसे सीखें सच्चाई से जीना हम?
धन्यवाद....पाताली जी, क्षमा जी एवं रकेश जी.....
-----बहुत कठिन है डगर पनघट की ..
वाह..
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