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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

रविवार, 16 सितंबर 2012

क्या राम राज्य, कल्याण राज्य नहीं ....डा श्याम गुप्त ....

  
चित्र-१.  
                                   

                       हम  क्या आशा करें ..एसे स्वामियों को जो यह कहते हुए भी कि यह राजनैतिक कार्यक्रम नहीं है...अपने वक्तव्य में उल-जुलूल राज़नैतिक बातों को कहते  हैं ...देखें समाचार-चित्र-१....
---क्या स्वामीजी के अनुसार ..रामराज्य ..कल्याण राज्य नहीं  था..... राम राज्य का तो उदाहरण इसीलिये दिया-लिया जाता है कि वह कल्याणकारी राज्य का अनुपमतम उदाहरण है.....
----जाति, धर्म और शराव बेचने वाली राजनेति समाप्त होनी चाहिए ....अर्थात उनके अनुसार धर्म का दर्ज़ा ..जाति व शराव के समकक्ष है ......क्या स्वामीजी धर्म व कल्याण  का अर्थ  भी जानते हैं .....??









2 टिप्‍पणियां:

virendra sharma ने कहा…

भारत इक कल्याणकारी राज्य है जहां राज्य सहायता एवं खैरात का बोलबाला है .राजनीतिक इंतज़ार करतें हैं पक्ष विपक्ष के कहीं दुर्घटना हो और हम खैरात लिए पहुंचे ,बेड़ा पार करें जनता हज कराके .राम राज्य में तो प्रजा ही सर्वोपरि थी धोबिन के वक्तव्य भी मान्य थे ,मर्यादा पुरुषोत्तम की मर्यादा भंग न हो इसीलिए एतराज़ उठने पे सीता जी स्वयं ही भू -स्थ .हो गईं थीं .

बढ़िया पोस्ट .धर्म की अफीम कॉफ़ी खा चुकी है दुनिया .

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद शर्मा जी....सही कहा ...