....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
एक बहु प्रचारित व प्रतिष्ठित समाचार पत्र...राजस्थान पत्रिका का यह हाल है कि उसके मुख्य सम्पादक दार्शनिक श्री गुलाब कोठारी जी एक तरफ तो ..आदर्श पत्रकारिता की बातें कहते नहीं अघाते ...उनकी कवितायें..आलेख..कृतित्व भी सदाचरण की बातें कहते नहीं थकते .....
----वहीं दूसरी ओर उसी राजथान पत्रिका में ---जेनुइन डेटिंग ....जेनुइन मीटिंग .... महिला-पुरुष मिलन के समाचार ( विज्ञापन ) प्रकाशित होते हैं ....
----- क्या ये अखबार वाले डेटिंग को, आपस में अनजाने स्त्री-पुरुष की मीटिंग को जेनुइन अर्थात उचित मानते हैं
...... यह कैसी भारतीय संस्कृति वाला समाचार पत्र है....
----- यह कैसी आदर्श पत्रकारिता है..... क्या पर उपदेश कुशल बहुतेरे ...को चरितार्थ नहीं कर रही ....
----- क्या यह कथनी व् करनी का अंतर नहीं है ...
------ क्या यह धन व व्यापार के हेतु .....अपना आचरण -विक्रय नहीं है.....
---- यदि एक आदर्श सम्पादक की आदर्श पत्रिका का यह हाल है तो हम मीडिया से क्या अपेक्षाएं रख सकते हैं .........
एक बहु प्रचारित व प्रतिष्ठित समाचार पत्र...राजस्थान पत्रिका का यह हाल है कि उसके मुख्य सम्पादक दार्शनिक श्री गुलाब कोठारी जी एक तरफ तो ..आदर्श पत्रकारिता की बातें कहते नहीं अघाते ...उनकी कवितायें..आलेख..कृतित्व भी सदाचरण की बातें कहते नहीं थकते .....
----वहीं दूसरी ओर उसी राजथान पत्रिका में ---जेनुइन डेटिंग ....जेनुइन मीटिंग .... महिला-पुरुष मिलन के समाचार ( विज्ञापन ) प्रकाशित होते हैं ....
----- क्या ये अखबार वाले डेटिंग को, आपस में अनजाने स्त्री-पुरुष की मीटिंग को जेनुइन अर्थात उचित मानते हैं
...... यह कैसी भारतीय संस्कृति वाला समाचार पत्र है....
----- यह कैसी आदर्श पत्रकारिता है..... क्या पर उपदेश कुशल बहुतेरे ...को चरितार्थ नहीं कर रही ....
----- क्या यह कथनी व् करनी का अंतर नहीं है ...
------ क्या यह धन व व्यापार के हेतु .....अपना आचरण -विक्रय नहीं है.....
---- यदि एक आदर्श सम्पादक की आदर्श पत्रिका का यह हाल है तो हम मीडिया से क्या अपेक्षाएं रख सकते हैं .........
3 टिप्पणियां:
बे -लगाम हैं आज जन संचार के माध्यम .निगम हैं ये .ग्लेमर को और अपराध दोनों को समान रूप से ग्लेमराइज करते हैं ये लोग . जिस भी चीज़ में लाभ दिखता है उसी को ये आकर्षक और लुभावना
बना देते हैं .फिर नीम हकीमों के विज्ञापन हों या अवैध प्रेम मिलन के .
धन भी तो कमाना है, कहाँ से करें..
धन्यवाद ..शर्माजी, शास्त्रीजी एवं पांडे जी....
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