....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
श्याम स्मृति 1.......यह भारत देश है मेरा ..
यह भारतीय धरती व वातावरण का ही प्रभाव है कि मुग़ल जो एक अनगढ़, अर्ध-सभ्य, बर्बर घुडसवार आक्रमणकारियों की भांति यहाँ आये थे वे सभ्य, शालीन, विलासप्रिय, खिलंदड़े, सुसंस्कृत लखनवी -नजाकत वाले लखनऊआ नवाब बन गए | अक्खड-असभ्य जहाजी ,सदा खड़े -खड़े , भागने को तैयार, तम्बुओं में खाने -रहने वाले अँगरेज़ ...महलों, सोफों, कुर्सियों को पहचानने लगे |
यह
वह
देश
है
जहां
प्रेम, सौंदर्य, नजाकत, शालीनता... इसकी संस्कृति, में रचा-बसा है, इसके जल में घुला है, वायु में मिला है और खेतों में दानों के साथ बोया हुआ रहता है | प्रेम-प्रीति यहाँ की श्वांस है और यहाँ के हर श्वांस प्रेम है |
यह पुरुरवा का, कृष्ण का, रांझे का, शाहजहां का और ताजमहल का देश है.....|
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