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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 18 जुलाई 2016

एक नियम है इस जीवन का ....( शीघ्र प्रकाश्य -जीवन दृष्टि -गीत संग्रह से ...)..डा श्याम गुप्त....

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ..




एक नियम है इस जीवन का ....( शीघ्र प्रकाश्य -जीवन दृष्टि -गीत संग्रह से ...)

एक नियम है इस जीवन का,
जीवन का कुछ नियम नहीं है ।
एक नियम जो सदा-सर्वदा,
स्थिर है, परिवर्तन ही है |


पल पल, प्रतिपल परिवर्तन का,
नर्तन होता है जीवन में |
जीवन की हर डोर बंधी है,
प्रतिपल नियमित परिवर्तन में |

जो कुछ कारण-कार्य भाव है,
सृष्टि, सृजन ,लय, स्थिति जग में |
नियम व अनुशासन,शासन सब,
प्रकृति-नटी का नर्तन ही है |

विविधि भाँति की रचनाएँ सब,
पात-पात औ प्राणी-प्राणी |
जल थल वायु उभयचर रचना ,
प्रकृति-नटी का ही कर्तन है |

परिवर्धन, अभिवर्धन हो या ,
संवर्धन हो या फिर वर्धन |
सब में गति है, चेतनता है,
मूल भाव परिवर्तन ही है |

चेतन ब्रह्म, अचेतन अग-जग ,
काल हो अथवा ज्ञान महान |
जड़-जंगम या जीव सनातन,
जल द्यौ वायु सूर्य गतिमान |

जीवन मृत्यु भाव अंतर्मन,
हास्य, लास्य के विविधि विधान |
विधिना के विविधान विविधि-विधि,
सब परिवर्तन की मुस्कान |

जो कुछ होता, होना होता ,
होना था या हुआ नहीं है |
सबका नियमन,नियति,नियामक .
एक नियम परिवर्तन ही है ||

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