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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

गुरुवार, 21 अगस्त 2025

सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग – डॉ. श्याम गुप्त

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग – डॉ. श्याम गुप्त

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रेनेशाँ – रेनेशाँ का पश्चिमी जगत में बडा उफान, तूफान उठाया गया था अर्थात योरोपीय समाज का पुनर्जागरण , जो बस मजदूरोँ व महिलाओँ का समाजिक, राजनैतिक जागरण तक सीमित रहा जिसके परिणामी प्रभाव मानवता का नैतिक व सामाजिक पतन ही रहा, जो आज तक परिलक्षित हो रहा है। क्योँकि उसके उपादान राजनैतिक थे ।
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विगत 11 वर्षोँ जो वास्तविक पुनर्जागरण की जो दिशा व दशा हमारे देश में बनी है वह एक सांस्कृतिक व धार्मिक पुनर्जागरण के साथ आत्मगौरव कीं पुनर्प्रतिष्ठा है और यह राजनैतिक उपादान द्वारा ही नहीँ अपितु एक सफल व सुविचारित सुचारु सांस्कृतिक नीति एवँ जन चेतना के जागरण द्वारा है। जो भारत के यशस्वी प्रधान नायक श्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी जी के नीति कौशल व राष्ट्र , धर्म व संस्कृति मेँ अटूट श्रद्धा के कारण है।
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हमारे महानायक भगवान श्री राम की आपने जन्म स्थान अयोध्या में वापसी , उनका राज्याभिषेक ने राष्ट्र की आत्मा को भाव और प्रेमानुभूति व राष्ट्र भक्ति से अभिसिंचित किया और जाग्रत किया ।
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प्राचीन भारत का एक और प्रतीक पवित्र राजदंड , सेंगोल , जो प्रथम प्रधान मंत्री श्री नेहरू जी को सत्ता हस्तांतरण के रूप में हस्तगत किया गया था परंतु एक छड़ी की भांति उपेक्षित था , उसे अपना मूल वास्तविक स्थान दिलाने का कार्य किया गया ।
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देश व समाज पर लादा हुआ एक बोझा युत एक अन्याय्पूर्ण कानूनी धारा जो राजनैतिक व सांस्कृतिक असमानता का कारक थी , उसे हटाना, महिलाओँ सम्बंधित अन्याय्पूर्ण प्रथा तलाक तलाक तलाक व अन्य सँवंधित प्रथाओँ का निरस्तीकरण से सामाजिक सुचिता व असमानता की समाप्ति हुई है ।
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योग दिवस का प्रारम्भ , ऋग्वेद के मंत्र – तुम्हारे शरीर मन व आत्मा एक होँ का संदेश , आयुष मंत्रालय अर्थात परम्परागत चिकित्सा को वैश्विक रूप देना , शास्त्रीय भाषाओँ , एतिहासिक स्मारकोँ लुप्त प्राय: लोक कलाओँ , प्राचीन पांडुलिपियोँ के सँरक्षण , डिजिटलीकरण एवँ भारत की आर्थिक स्थिति पाँचवीँ ट्रिलियन के करीब पहुँचने एवँ त्रितीय स्थिति ओर उन्मुख , से देश मैँ एक नवीन सांस्कृतिक व राजनैतिक ऊर्ज़ा व आत्मबोध का संचार हुआ ।
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स्टेच्यू ओफ यूनिटी , उज्जैन, काशी आदि आस्था के केंद्रों का नवीनी करण । विश्वं नेताओँ को मोदीजी द्वारा दिये गये भारतीय संस्कृति से युक्त उपहार , भारत से चोरी की गयी सांस्कृतिक धरोहरोँ को विदेशोँ से वापस लाना आदि तमाम उपेक्षित कार्योँ के कृतित्व से तथा सेना के सशक्तीकरण --तीन तीन सफल सैनिक अभियान , आपरेशन सिंदूर द्वारा अपनी राजनैतिक व सामरिक शक्ति के भरपूर प्रदर्शन द्वारा मोदी युग के ये 11 वर्ष वास्तविक रेनेशाँ अर्थात केवल भारतीय ही नहीँ अपितु सम्पूर्ण विश्व समाज संस्कृति के लिये पुनर्जागरण का युग बन चुका है ।

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