प्रेम शाश्वत है , शाश्वतता प्रेम से ही है। सृष्टि के प्रादुर्भाव ,स्थिति ,लय व पुनर्सृजन की निरंतरता का आधार प्रेम ही है । सृष्टि ,प्रेम,से है ,प्रेम ही सृष्टि है ।
सृष्टि के कण-कण मैं जो स्पंदन ,क्रंदन ,नर्तन व निलयनहै ,सभी कुछप्रेम ,प्रेम की अभिव्यक्ति ,एवं प्रेम की परिणति ही है .संयोग प्रेम है ,वियोग प्रेम है ,स्थिति प्रेम है .जीवन की अभिव्यक्ति ,कृति व सांसारिकता का भवचक्र प्रेम सेही है .
विश्व मैं जो कुछ भी घटता है ,प्रेम की ही अभिव्यक्ति है ,और जो कुछ नहीं होता वह भी प्रेम की ही अभिव्यक्ति है (या अनभिव्यक्ति है ).लौकिक संसार के आचार व्यवहार ,संचार व संगठन की जो मूल शक्ति "एक्य" है ,आपसी प्रेम की ही अभिव्यक्ति है । एकता ,विश्व की सबसे बड़ी शक्ति है और उस शक्ति का बीज मूल प्रेम ही है। । प्रेम काव्य ,महाकाव्य मैं पढें ।
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
रविवार, 6 जुलाई 2008
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