ये होता तो वो होता,
यूँ होता तो ये होता ,
ये न हुआ तो वो न हुआ ,
यूँ न हुआ तो क्यों न हुआ।
यह भी कोई बात हुई ,
बात बात की बात हुई।
यह मत सोचो ये न हुआ ,
ये न हुआ तो क्यों न हुआ।
सोचो हमने किया है क्या?
जग को हमने दिया है क्या?
क्यों न देश हित कार्य किया?
क्यों न सत्य -परमार्थ जिया?
तू करता तबतो होता ,
तूने एसा क्यों न किया?
डॉ श्याम गुप्त
यूँ होता तो ये होता ,
ये न हुआ तो वो न हुआ ,
यूँ न हुआ तो क्यों न हुआ।
यह भी कोई बात हुई ,
बात बात की बात हुई।
यह मत सोचो ये न हुआ ,
ये न हुआ तो क्यों न हुआ।
सोचो हमने किया है क्या?
जग को हमने दिया है क्या?
क्यों न देश हित कार्य किया?
क्यों न सत्य -परमार्थ जिया?
तू करता तबतो होता ,
तूने एसा क्यों न किया?
डॉ श्याम गुप्त
2 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर अभिवयक्ति
dhanyvaad amit, likhte va padhte raho. nav varsh khushiyan lekar aaye. shyam gupta.
darpan main apnee chhavi,
deti hai,
aanandaanubhuti;
man-darpan main jhaanken,
to hogee,
sachchee anubhuti.
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