--वास्तव मैं तो बंदिशें ही प्रगति के द्वार खोलतीं हैं। सोचिये यदि गणित की, विज्ञान की, संगीत की ,
यातायात की तथा समाज की बंदिशें न हों तो उन्नति केसे होगी? समाज का डर न हो तो हर व्यक्ति ही अपनी- अपनी ढफली गायेगा , नंगा नाचेगा , २प्लस २ =५ कहेगा ,सरगम को मरगम कहेगा ???
विश्व मैं वह कौन सीमाहीन है ,
हो न जिसका छोर सीमा मैं बंधा ?
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