आजकल टी वी आदि मैं बहुत से समाचार सिर्फ़ तमाशे व चौकाने के लिए या सबसे पहले हम , या संवाददाता अपनी हनक के लिए देते हैं ;या फिर पैसा कमाने व वांटने का जरिया होगया है। आई पी एल --के सरकार के फैसले के -अंदरूनी बातों मैं सामान्य जनता को क्या मतलब हो सकता है? हमें केवल खेल होने से और देखने से मतलब है , होगा तो देखेंगे नहीं तो कुछ और देखेंगे , जो फैसला होगा ,होने दो कौन सा बहुत महत्वपूर्ण देश ,समाज का मसला है?--क्रिकेट का खेल हुआ देखलिया , हार जीत जो हुआ ठीक है। अब उसका ये हुआ वो हुआ ,यूँ हुआ , व्यर्थ कहानी कहने दिखाने का क्या अर्थ है ?--कोई अक्सीडेंट हुआ समाचार देखा ,सुना ठीक है ?, अब ये होरहा है ,गाडी, पटरीआदि का एनीमेशन दिखाकर क्या मिलेगा?---सब धंधेबाजों का व्यर्थ का तमाशा है। इन व्यर्थ के कार्यों मैं जो धन, समय, बर्वाद होता है उससे जाने कितने गरीब ,भूखों को खाना कपडा मिल सकता है। -
_ __-सोचिये । सोचिये --सोचिये
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
शुक्रवार, 13 मार्च 2009
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