पूरी् मगर हर ख्वाहिश सदा नहीं होती।
जिसके हकदार हो वो तुझे मिलेगा जरूर ,
न समझ ख्वाहिशें हकीकत ज़दा नहीं होतीं।
काबिलियत व कोशि्शें ही तय करतीं हें हक,
असफ़लता की वज़ह किस्मत सदा नहीं होती ।
हर बात की कोई वज़ह हो ती है ज़रूर ,
किस्मत के् दोष की बात बज़ा नहीं होती।
सही दिशा में सही को्शिशें करें यदि श्याम,
कोई वज़ह नहीं कोशिश सफ़ल नहीं होती ॥
4 टिप्पणियां:
काबिलियत व कोशिशें ही तय करतीं हें हक,
असफ़लता की वज़ह किस्मत सदा नहीं होती.
Bahut hi upyukt panktiyan. Badhai.
श्याम जी आपकी गजल के चार शेर पढने तक मैं टिप्पणी करने वाला था की
आपने बहुत सुन्दर गजल कही है
मगर आख़री शेर पढ़ कर एक शंका मन में उठ रही है इस लिए यही कह सकता हूँ की आपके विचार सुन्दर हैं
शंका ये है की आपने काफिया लिया है आ की मात्र
----------------------------------
सही दिशा में सही को्शिशें करें यदि श्याम,
कोई वज़ह नहीं कोशिश सफ़ल नहीं होती ॥
----------------------------------
फिर आख़री शेर में "सफल" शब्द के उपयोग के साथ आपने काफिया का निर्वहन कैसे किया ???
अभी मैं इन बारीकियों को सीख रहा हूँ इस लिए पूछ बैठा आप अन्यथा मत लीजियेगा
आपका वीनस केसरी
बहुत ठीक गये हो वीनस ,हो केसरी, धन्य्वाद--
मैं इन्हें फ़िसलती गज़लें कहता हूं, जब भाव को फ़िसलने नहीं देना हो तब ।ओर भी गज़लें हें-यथा---सम्भलती गज़ल,लड्खडाती गज़ल,मचलती गज़ल,गज़ल की गज़ल,बहकती गज़ल, बिद्रोही गज़ल आदि आदि.
श्याम जी,
माफ़ करे मैं ठीक से समझ नहीं पाया की आप क्या कहना चाहते हैं
आपका वीनस केसरी
एक टिप्पणी भेजें