राम चन्द्र गुहा को अचानक नेहरू जी याद कैसे आगये? इसे कहिये वक्त ी नव्ज़ पकडना ।एक अन्ग्रेज़ी पुराना उपन्यास--
में ये पढ कर समझ में आता है ्कि सारा उपन्यास एक बात कहने के लिये लिखा गया है कि--अन्ग्रेज़ ही भारतअच्छी चीज़ें छोड गये थे(भारत तो तब भी अनपढ ,ज़ाहिल था ,अब भी है व रहेगा अगर हिन्दू की ज़िद पर अडा
रहा तो ) जिन के बल पर भारत ,नेहरू,व सर्कार ठीक काम कर रही थी,व कर
सकती है, जो हें--लोक्तन्त्र,ब्रिटिश शाशन प्रणाली,अभिव्यक्ति ओर धर्म की स्वतन्त्रता ,औरतों की आज़ादी,देश भक्ति(जैसे भारत तो इन से सदैव अन्जान ी है ओर ये अन्गरेज़ों की ईज़ाद हें) ---यह बात गुहा जैसे लोगों के दिमाग में नहीं आयेगी--अन्ग्रेज़ी चश्मे के कारण।--अन्ग्रेजों व अन्गरेज़ी केप्रचार का ठेका जो्ले रखा हे.। अपने मुंह मियां -मिट्ठू ??
वही हाव-भाव क्या अब भी जोर-शोर से नहीं चलरहे?
ये ग्यान (या अग्यान) की पराकाष्ठा है ।
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