
कुछ डा श्याम गुप्त के दोहे भी पढ़ें ---
है उपलब्ध निरोग-हित,विविध शाक आहार |
क्यों खाएं रोगी बनें,निन्दित मांसाहार|
यम् ओ नियम शरीर हित,आचार-व्यवहार।
रहे चिकित्सा-ज्ञान ही,इन सबका आधार।
परम अपावन प्राप्ति विधि,प्राणी बध संताप ।
बध की क्रिया देखकर,कभी न खाएं मांस।
कूड़ा-करकट खाँय हम, कुक्कुट यों बतरायं ।
क्या मज़बूरी मनुज की ,जो वे हम को खायं।
जंगल तजि गाँवों बसे, भाये शाकाहार।
नगर बसे पुनि शाक तजि , रुचै मांस आहार।
अनुमोदक,क्रय-विक्रयी,चीरे,बधे,पकाय ।
खायं,परोसें ये सभी,घातक पाप कमायं ।
अति आहार महान दुःख,अनाहार अति कष्ट ।
रितभुक,मितभुक,हितभुक,सदा रहें संतुष्ट ।
अन्न जो जैसा खाइए, तैसी संतति होय।
दीप भखे अंधियार को ,काजल उत्पति होय॥
3 टिप्पणियां:
आपके विचार बहुत अच्छे लगे।
आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ। आप पेशे से डाक्टर हैं ; हिन्दी विकि वैसे तो बहुत अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है किन्तु जीवविज्ञान, स्वास्थ्य, आयुर्विज्ञान आदि पर बहुत कम सामग्री है। आपसे निवेदन है कि कभी-कभार समय निकाल कर हिन्दी विकि में अपनी विशेषज्ञता और रुचि के विषयों (टापिक्स) पर कुछ लेखों का योगदान करें।
हिन्दी विकि का मुखपृष्ठ-
hi.wikipedia.org/
धन्यवाद, अनुनाद-आपका विचार अत्युत्तम है। वस्तुतः मेरा विचार है कि ,चिकित्सा गुप्त विद्याओं मे आती है अतः शास्त्रोक्त नियमों एवम आधुनिक कोड व कन्डक्ड के अन्तर्गत भी , इनका मीडिया, समाचार पत्र,टी वी,व पब्लिक-पत्रिकाओं में प्रकाशन,प्रचार-प्रसार, वर्ज़ित होना चाहिये और है भी। ये प्रोफ़ेसनल आलेख केवल प्रोफ़ेशनल पुस्तकों में ही होने चाहिये। केवल रोगी-चिकित्सक संबंध,व्याप्त भ्रष्टाचार का उज़ागर,व सामाज़िक पहलू ही मीडिया में पब्लिक होने चाहिये। आपके निवेदन को द्यान रखूंगा।
विशिष्ट विषयों पर आलेख--मेरे अन्य ब्लोग्स--
-http;//vijaanaati-vijaanaati-science.blogspot.com & http;//saahityshyaam and drsbgwordpress.com पर भी देखें।
एक टिप्पणी भेजें