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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

आहार-विचार -,मांसाहार --अनहद,हिंदुस्तान -दैनिक --०९-०८-०९ --------

आहार-विचार के बारे में श्री अखिलेश आर्येंदु का आलेख विचारणीय है -->

कुछ डा श्याम गुप्त के दोहे भी पढ़ें ---

है उपलब्ध निरोग-हित,विविध शाक आहार |
क्यों खाएं रोगी बनें,निन्दित मांसाहार|

यम् ओ नियम शरीर हित,आचार-व्यवहार।
रहे चिकित्सा-ज्ञान ही,इन सबका आधार।

परम अपावन प्राप्ति विधि,प्राणी बध संताप ।
बध की क्रिया देखकर,कभी न खाएं मांस।

कूड़ा-करकट खाँय हम, कुक्कुट यों बतरायं ।
क्या मज़बूरी मनुज की ,जो वे हम को खायं।

जंगल तजि गाँवों बसे, भाये शाकाहार।
नगर बसे पुनि शाक तजि , रुचै मांस आहार।

अनुमोदक,क्रय-विक्रयी,चीरे,बधे,पकाय ।
खायं,परोसें ये सभी,घातक पाप कमायं ।

अति आहार महान दुःख,अनाहार अति कष्ट ।
रितभुक,मितभुक,हितभुक,सदा रहें संतुष्ट ।

अन्न जो जैसा खाइए, तैसी संतति होय।
दीप भखे अंधियार को ,काजल उत्पति होय॥

3 टिप्‍पणियां:

अनुनाद सिंह ने कहा…

आपके विचार बहुत अच्छे लगे।

आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ। आप पेशे से डाक्टर हैं ; हिन्दी विकि वैसे तो बहुत अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है किन्तु जीवविज्ञान, स्वास्थ्य, आयुर्विज्ञान आदि पर बहुत कम सामग्री है। आपसे निवेदन है कि कभी-कभार समय निकाल कर हिन्दी विकि में अपनी विशेषज्ञता और रुचि के विषयों (टापिक्स) पर कुछ लेखों का योगदान करें।

हिन्दी विकि का मुखपृष्ठ-
hi.wikipedia.org/

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद, अनुनाद-आपका विचार अत्युत्तम है। वस्तुतः मेरा विचार है कि ,चिकित्सा गुप्त विद्याओं मे आती है अतः शास्त्रोक्त नियमों एवम आधुनिक कोड व कन्डक्ड के अन्तर्गत भी , इनका मीडिया, समाचार पत्र,टी वी,व पब्लिक-पत्रिकाओं में प्रकाशन,प्रचार-प्रसार, वर्ज़ित होना चाहिये और है भी। ये प्रोफ़ेसनल आलेख केवल प्रोफ़ेशनल पुस्तकों में ही होने चाहिये। केवल रोगी-चिकित्सक संबंध,व्याप्त भ्रष्टाचार का उज़ागर,व सामाज़िक पहलू ही मीडिया में पब्लिक होने चाहिये। आपके निवेदन को द्यान रखूंगा।

shyam gupta ने कहा…

विशिष्ट विषयों पर आलेख--मेरे अन्य ब्लोग्स--
-http;//vijaanaati-vijaanaati-science.blogspot.com & http;//saahityshyaam and drsbgwordpress.com पर भी देखें।