दुर्जन और सर्प में,
है इतना ही अन्तर;
सांप छेडने पर ही डंसता है,
और व्यक्ति बच भी जाता है;
यदि मिल जाये्कोई मन्तर।
दुष्ट नश्तर की तरह डंसता रहता है,
प्रतिपल, जीवन भर;
आपका अन्तर;
काम नहीं करता है,
कोई भी मन्तर ॥
मनुष्य व पशु
मनुष्य व पशु में,
यही है अन्तर;
पशु नहीं कर पाता,
छल-छंद ओ जन्तर-मन्तर।
शैतान ने पशु को ,
माया सन्सार कब दिखाया था,
ग्यान का फ़ल तो ,
सिर्फ़ आदम ने ही खाया था॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें