-----मुग़ल सारे हिन्दुस्तान को मुसलमान नहीं बना सके परन्तु आज सारा हिन्दुस्तान अंगरेज़ दिखाई देता है , क्यों ? आज सारे भारत में फ़ैली हुई अंग्रेजीयत को देख कर मेरे मन में यह सवाल सहज ही उठा | कारणों पर विचार करने से मुझे यह समझ में आया कि---
--मुग़ल या अन्य मुस्लिम आक्रान्ता इतने चालाक व धूर्त नहीं थे , अतः उन्होंने तलवार के जोर पर भारतीय जनता कोमुसलमान बनाने पर जोर दिया , उन्होंने अपनी इमेज व दुनिया की चिंता नहीं की , हिन्दुओं के नीति-नियमों की बुराईविरुद्ध प्रचार , शास्त्रों -ग्रंथों को झूठा व हिन्दुओं को असभ्य घोषित करने का अभियान नहींं चलाया , हिन्दुओं की सभ्यता-नीति-नियम-व्यवहार-आचार ,दिनचर्या आदि पर रोक नहीं लगाई बस जबरदस्ती इस्लाम कुबूल करके मुस्लिम बनाने परजोर दिया , जजिया लगाने का भी उद्द्देश्य कोई हिन्दुओं की सभ्यता से छेड़छाड़ नहीं था बस राजनैतिक धनलाभ वहिन्दुओं को नीचा दिखाना ही था |उन्होंने कोई अर्ध -हिन्दू , मुसल-हिन्दू जाति की स्थापना नहीं की |
-----अँगरेज़ कौम बहुत चालाक व धूर्त थी , साथ में ही चतुर , उन्होंने हिन्दुओं को बलात ,जोर जबरदस्ती से ईसाईअँगरेज़ नही बनाया अपितु कामिनी-कंचन के लालच सेअपना अर्थ साधा व एंग्लो-इंडियन जाति स्थापित की जो भारत मेंअंग्रेजों की सहायक थी , बड़ी चतुरता से हिन्दुओं के इतिहास, धर्म, शास्त्र ,विज्ञान ,सभ्यता के विरुद्ध सुनियोजित ढंग सेअनर्गल प्रचार किया व कराया ,उन्होंने हिन्दुओं के रीति-रिवाजों , धार्मिक कलापों को रोका , संस्थाओं को नष्ट किया एवं
हिन्दू ज्ञान को पुरातन-पंथी, अवैज्ञानिक करार देकर उसी ज्ञान को अंग्रेजी के माध्यम से अपना ज्ञान कहकर प्रचारित कियाइस तरह सारे भारत को अंगरेज़ बनाने की नींव रखी , वे कहलायेंगे हिन्दुस्तानी परन्तु व्यवहार, आचार, विचार ,क्रियाकलाप से अँगरेज़ होंगे | जो आपके सामने है |
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- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
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7 टिप्पणियां:
sach kaha aapne...
Jai Hind...
bilkul sahi kha lekin ajj bhi unka kam jari hai
बात तो सही है जब जब जबरदस्ती मुसलमान बनाया जा रहा था.....उस समय कामयाब ना हो सके ,उस का कारण तो अलग है ........लेकिन अग्रेजों का जो प्रभाव देखने को मिल रहा है वह सच में बहुत बुरा पड़ा है...लेकिन इस के लिए दोषी कौन है?................हम या हमारी सरकारें या दोनो.....
ham sab .
' jo dil khojaa aapnaa mujhasaa bura na koy '
Ankhen khol dene vala aur sawadhan karne vala alekh hai.
Prayas jarii rakhiye Sir.
Dosh kahin ham men hii hai.
Ankhen khol dene vala aur sawadhan karne vala alekh hai.
Prayas jarii rakhiye Sir.
Dosh kahin ham men hii hai.
yes
for example plane ko right brothers se 50 saal se bhi jada pahle 'SHIV KUMAR' ne mumbai ke chaupati par uda kar dikhaya tha par use chipa diya gaya
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