
---अब देखिये एक सुन्दर, आवश्यक, सामयिक, सामाज़िक विषय पर लिखी गई यह पुस्तक भी है तो क्या "कम बिफ़ोर ईवनिन्ग फ़ाल्स"---क्या खाप , पन्चायत, हरियाणा की व देश की सामान्य जनता के लिये लिखी गई ( यदि यही मंशा है तो) यह पुस्तक -अन्ग्रेज़ी मै है( पता नहीं चला रहा समाचार से ) क्यों ? हिन्दी में है तो शीर्षक अंग्रेज़ी में क्यों ? होगया सारा किया कराया 'गुड-गोबर' । लेखिका का कथन भीस्वयम भ्रामक है- -" यह हमारा भ्रम है किहम रिश्ते बनाते और तोडते हैं, सच तो यह है कि रिश्ते हमें तोडते और बनाते हैं॥" --- महोदया--- क्या रिश्ते आपको तोडने -बनाने के लिये स्वयम बनजाते हैं? पहले कुछ रिश्ते आप ही बनाते हैं, अन्य स्वयम बनजाते हैं, जन्म के रिश्ते स्वयम बनते हैं जो मनुश्य को तोडते नहीं, जोडते हैं। हां, मनुष्य द्वारा अवैधानिक, लालच वश, भ्रम वश, स्वार्थ वश बनाये गये-तोडे गये रिश्ते, उसे अवश्य ही तोडते हैं ।---क्या-क्या कहादेते है झोंक में या....
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