झूठ पुरान
तेल पाउडर बेचिहें , झूँ ठि बोलि इतरायं ।
बड़े महानायक बनें , मिलहिं लोग हरखायं|
दो करोड़ कौ जूआ, खेलें खेल खिलायं ।
ज्ञान कौं धन ते तौलिकैं ,महिमा ज्ञान नसायं ।
झूठेही पव्लिक मांग कहि, फोटो नग्न खिचांयं ।
बोल्ड सीन देती रहें , हीरोइन बनि जायं ।
झूठे वादे करि सभी, कुरसी लें हथियाय ।
पांच साल भूले रहें , सो नेता कहलायं ।
झूठौ विज्ञापन करें, सबते अच्छौ माल।
देकें गिफ्ट-इनाम बस,ग्राहक कियो हलाल।
चाहें जैसें भी करौ, केस दीजिये आठ ।
तबहि कंपनी देयगी, बोनस तीन सौ साठ।
झूठेई खबरनि ते शुरू , नित्य करम अभिराम।
भ्रमित औ झूठे सीरियल,करें समापन शाम।
झूठौ सब व्योहार है, झूठौ सब बाज़ार।
श्याम झूठ ही झूठ है, झूठौ सब आचार ।
झूठिहि उठिवौ वैठिवौ , झूठ मान सनमान ।
श्याम झूठि सौ अवगुन, बनौ गुनन की खान ।
झूठ काम की लूटि है, लूट सके तौ लूट ।
तू पीछे रहि जाय क्यों,सभी परे हैं टूट।
झूठ बसौ सब जगत में , झूठे सब व्यापार।
या कलिजुग में झूठ ही,सब सुख्खन कौ सार।
श्याम जे कलिजुग रीति है, तुलसी कही प्रतीति।
झूठेही खावौ ओढिवौ, झूठी प्रीति की रीति।
जो कोऊ कहि जाय यह, झूठी ये सब बात।
श्याम ताहि गुरु मानिकें,चरन-धूरि ले माथ॥
ब्लॉग आर्काइव
- ► 2013 (137)
- ► 2012 (183)
- ► 2011 (176)
- ▼ 2010 (176)
- ► 2009 (191)
डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
सच ही लिखा है आपने....आज सब कुछ झूठ के सहारे ही चलता है!फिर चाहे व्यपार हो या राजनीती...झूठ ही हावी हो गया है....
एक टिप्पणी भेजें