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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

मंगलवार, 24 अगस्त 2010

भाई बहन --व राखी ---

भाई और बहन का प्यार कैसे भूल जाएँ ,
बहन ही तो भाई का प्रथम सखा होती है
भाई ही तो बहन का होता है प्रथम मित्र ,
बचपन की यादें कैसी मन को भिगोती हैं
बहना दिलाती याद,ममता की, माँ की छवि,
भाई में बहन छवि,पिता की संजोती है
बचपन महकता ही रहे सदा यूंही श्याम,
बहन को भाई उन्हें बहनें प्रिय होती हैं

भाई बहन का प्यार,दुनिया में बेमिसाल ,
यही प्यार बैरी को भी राखी भिजवाता है
दूर देश बसे हों, परदेश या विदेश में हों,
भाइयों को यही प्यार खींच खींच लाता है
एक एक धागे में बंधा असीम प्रेम बंधन,
राखी की त्यौहार 'रक्षाबंधन' बताता है
निश्छल अमिट बंधन,'श्याम धरा-चाँद जैसा,
चाँद इसीलिये, चन्दा मामा कहलाता है।।

रंग बिरंगी सजी राखियाँ कलाइयों पै ,
देख -देख भाई , हरषाते इठलाते हैं
बहन है जो लाती मिठाई भरी प्रेम रस,
एक दूसरे को बड़े प्रेम से खिलाते हैं
दूर देश बसे जिन्हें राखी मिली डाक से,
बहन की ही छवि देख देख मुस्काते हैं
अमित अटूट बंधन है ये प्रेम रीति का,
सदा बना रहे 'श्याम' मन से मनाते हैं

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

दूर देश बसे जिन्हें राखी मिली डाक से,
बहन की ही छवि देख देख मुस्काते हैं।
अमित अटूट बंधन है ये प्रेम रीति का,
सदा बना रहे 'श्याम' मन से मनाते हैं॥

अच्‍छी रचना .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!