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<-----बड़ा शोर मचाया जारहा है भारत की स्थिति में सुधार का । दिए गए समाचार के अनुसार यदि स्वतन्त्रता के
छ : दशक बाद भी भारत, बंगलादेश, लंका, पाकिस्तान,नेपाल से भी स्वास्थ्य, शिक्षा व लिंगभेद में पीछे है तो फिर
सुधारकिस में व किस बात का , प्रगति किस बात की ?...आमदनी में, खेळ में ,फैशन में , सिनेमा, टी वी, मोबाइल व अन्य आयातित विचार ,संस्कृति , उपभोग के उपकरणों -बस्तुओं, प्रसाधनों के उपभोग-उपयोग- प्रयोग में, जो आभासी है , नक़ल पर आधारित, व विदेशी सहायता पर आधारित है ; खेळ भ्रष्टाचार , सांस्कृतिक भ्रष्टाचार तथा हर क्षेत्र में महा- भ्रष्टाचार में |
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-शिक्षा, स्वास्थ्य, चरित्र व लिंगभेद ही तो किसी समाज के सामाजिक स्थिति के वास्तविक दर्पण होते हैं , जहां --हम कहाँ हैं ---आज दीपावली के , अग्निशिखा के , अग्ने ( विद्वानों , गुणीजनों के व्यवहार ---अग्ने ने सुपथा राये...) के अंतर्मंथन के पर्व पर हम सब सोचें -विचारें, एवं कुछ उपाय व कर्तव्यों पर पुनर्विचार व मंथन करें ।
2 टिप्पणियां:
हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
जब सब हैं हम भाई-भाई
तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
आओ सब मिलकर खाए मिठाई
और भेद-भाव की मिटाए खाई
हर कालाबाजारी, भ्रष्टाचारी के लिये ही अधिक आमोद-आनन्द-दायक होती है..गरीब को तो सब दिन एक से..
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