बड़े खुश हैंआप, हम, सब --ये क्या देख- दिखारहे हैं हम सब,क्या दिखा-सिखा रहे हैं बच्चों को , सामान्य जन को , क्या यही है आने वाले देश की तस्वीर, नंगी तस्वीर? क्या ये सब भड़काऊ, कामनाएं उभारू, अच्छे खासे को बिगाडू तस्वीरें नहीं हैं ? फिर देश, समाज, दुनिया में झगड़े, हिंसा, बलात्कार , नारी-हिंसा , नारी के निंदनीय कर्म में लिप्तता को बढ़ावा दें तो किसका दोष ; तिस पर तुर्रा यह कि हम प्रगतिशील हैं, महिला स्वतन्त्रता के अलमबरदार |---क्या सोच रहे हैं आप........आखिर महिला-नारी स्वतन्त्रता का नाम-काम -नंगी तस्वीरों से ही क्यों शुरू होता है -ख़त्म होता है; क्या अन्य बड़े-बड़े कार्य जो महिलाएं करतीं हैं वे कम हैं समाचारों , चित्रों में दिखाने के लिए , जो एसे चित्रों की आवश्यकता पड़ जाती है।
----मेरा अन्य ब्लॉग .....
2 टिप्पणियां:
Jo dikhana chahiye, wo nahi dikhate....
Nari ki asmita se khilwaad.
Disgusting !
सही कहना है डाक्टर साहेब आपका | समाचार पत्र,साहित्यिक पत्रिकाएं ,टी वी चेनल ,इतना भौंडा प्रदर्शन कर रहे है कि क्या बताएं |गानों के बोल पर भी ध्यान देना क्या परोस रहे है आधुनिकता के नाम पर
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