....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
भारतवर्ष का धर्म उसके पुत्रों से नहीं , उसकी संस्कारवान कन्याओं से ठहरा हुआ है | यदि भारत की रमणियाँ अपना धर्म छोड़ देतीं तो अब तक भारत नष्ट होगया होता |
---महर्षि दयानंद सरस्वती .....
12 टिप्पणियां:
आपका ब्लॉग मुझे बहुत अछ्छा? लगा. ऐसा लगता है जैसे आप आँखे बंद करने अपनी लाइब्रेरी में किताब निकली , उसके बाद पुनः आँखे बंद करके उसे खोला , फिर जो पन्ना खुला उसे अपने ब्लॉग पर टीप दिया . डा साहब बिना किसी विषय क्रम के कुछ भी टीप देना ब्लोगरी नहीं कहलाती है .
देखता हूँ आप मेरी पिछली टिप्पणी अप्रूव करते हैं या नहीं ?
बहुत ही अर्थपूर्ण वाक्य।
धन्यवाद पान्डे जी...सही है ग्यान का सागर इतना गहन होता है कि जो जानता है कि वह जानता है वही जान पाता है....
अनोनीमस जी---क्या आज का यह वाक्य बिना विषय क्रम के है...क्या महिला दिवस पर इस वाक्य का क्रम आपको समझ नहीं आरहा....
---वैसे भी प्रेरक वाक्यों के लिये किसी क्रम या मुहूर्त की क्या आवश्यकता...प्रेरणा के लिये हर क्षण क्रम, अनुक्रम, विक्रम, पराक्रम का होता है.....
--आप अपना नाम "अ नोन म्यूज़" रख लीजिये...
अजी नाम का क्या है अनोनिमस से बदल कर अ नॉन म्यूज़ भी रख लेंगे. आप खुश रहें बस .
लेकिन इतना तो है कि आपका बर्दाश्त का लेवल बहुत कमजोर है
खैर, आगे भी आपको झिलाते रहेंगे.
----हुज़ूर इस में झिलाने की क्या बात है...आप नोन म्यूज़र होकर तो हमको एम्यूज़ ही करेंगे...बधाई..
सर मन चंगा तो कठौती में गंगा !
Bahut sundar1 Pahlee baar aapke blog pe aayee aur bahut achha laga!
Thanks kshama ji
kya bat dr sahab koi nayi post nahiiii??????
बाहर टूर पर था हुज़ूर, बस हाज़िर हुए....
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