. ...कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
जैसा कि घोषित था हिन्दी -हिन्दुस्तान का नया अंक १५/४/११ आया -- और जैसा कि हमने कहा कि क्या नया होगा ..वही ढाक के तीन पात...कुछ बानगी देखिये...
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२- देखिये चित्र दो.. बायें... क्या नया अवतार भी पहले की ही भांति सेक्सी विग्यापन से युक्त रहेगा , तो नया क्या है.... क्या यह कदाचरण, अनाचरण नहीं है.....
३- देखिये चित्र तीन---दायें--क्या अमरीकी मारियो से इसलिये नया डिजायन कराया था कि यह बताया जासके कि गान्धीजी के आन्दोलन का मूल विचार उनका अपना नहीं अपितु एक अमेरिकी नागरिक के विचार से प्रेरित था, और बचपन में वे बहुत डरपोक थे । अर्थात हम अमेरिका के बिना कुछ भी नहीं कर सकते............. सामने चित्र तीन दायें --->
४- देखिये चित्र ४-नीचे.... ये लन्दन के भिखारी का गुण गान है या रवीन्द्रनाथ टेगोर का ..?
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-----अधिक क्या कहा जाय ...सब जानते हैं...क्या यह भ्रष्ट आचरण, अनाचरण, कदाचरण के वाहक नहीं हैं......
6 टिप्पणियां:
Hmmm sahee kah rahe hain aap!
गुप्ता जी,
चौबे जी गए छब्बे बनने दुबे बन कर लौट आये..यही हाल है हिंदुस्तान पत्र का..
ये हिंदुस्तान पत्र, हिंदुस्तान लीवर जैसा हो गया है...नाम देशी मगर सोच व असली मालिक बेदेशी .
क्या पता इटली वालों ने खरीद लिया हो...........
साहब!हिंदुस्तान में मीडिया ही तो सब काम करता है! जिसे चाहे हीरो बना दे,जिसे चाहे ज़ीरो!
सुंदर प्रयास है आपका!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
पता नहीं कब सुधरेंगे ये।
श्याम जी ,
बहुत अच्छा विश्लेषण किया है आपने |
उत्पादों की तरह मीडिया या अखबार भी बाजारू होड़ में आगे निकलने के लिए सारे द्वन्द-फंद कर रहे हैं ....
कैसा और कौन सा परिवर्तन ?
धन्यवाद , क्षमा..आशुतोष,विवेक,पान्डे जी व झंझट जी....
...हम कब तक नकलची व पिछलग्गू बने रहेंगे...
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