.... .. कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
एक नियम है इस जीवन का,
जीवन का कुछ नियम नहीं है ।
एक नियम जो सदा-सर्वदा,
स्थिर है, परिवर्तन ही है ॥
एक नियम है इस जीवन का,
जीवन का कुछ नियम नहीं है ।
एक नियम जो सदा-सर्वदा,
स्थिर है, परिवर्तन ही है ॥
पल पल, प्रतिपल परिवर्तन का,
नर्तन होता है जीवन में |
जीवन की हर डोर बंधी है,
प्रतिपल नियमित परिवर्तन में ||
जो कुछ कारण-कार्य भाव है,
सृष्टि, सृजन ,लय, स्थिति जग में |
नियम व अनुशासन,शासन सब,
प्रकृति-नटी का नर्तन ही है ||
विविधि भाँति की रचनाएँ सब,
पात-पात औ प्राणी-प्राणी |
जल थल वायु उभयचर रचना ,
प्रकृति-नटी का ही कर्तन है ||
परिवर्धन,अभिवर्धन हो या ,
संवर्धन हो या फिर वर्धन |
सब में गति है, चेतनता है,
मूल भाव परिवर्तन ही है |
चेतन ब्रह्म, अचेतन अग-जग ,
काल हो अथवा ज्ञान महान |
जड़-जंगम या जीव सनातन,
जल द्यौ वायु सूर्य गतिमान ||
जीवन मृत्यु भाव अंतर्मन,
हास्य, लास्य के विविधि विधान |
विधिना के विविधान विविधि-विधि,
सब परिवर्तन की मुस्कान ||
जो कुछ होता, होना होता ,
होना था या हुआ नहीं है |
सबका नियमन,नियति,नियामक .
एक नियम परिवर्तन ही है ||
6 टिप्पणियां:
परिवर्तन अपरिवर्तनीय है।
श्याम जी, अद्भुत रचना ,क्या लिखूँ , अवाक् रह गया ....
अद्भुत ! बिलकुल अद्भुत रचना
अद्भुत ! शब्दों का संयोजन !
अंतर्मन के रंगमंच पर
मानो किया कलम ने नर्तन.
अमृत,रत्न ,जवाहर निकले
कहाँ हुआ है सागर-मंथन
अटल सत्य है नियम सृष्टि का
परिवर्तन,केवल परिवर्तन.
( मेरे कविताओं वाले ब्लाग में आपका हार्दिक स्वागत है)
धन्यवाद पान्डे जी...
वाह! सुन्दर काव्यमय समीक्षा...आभार अरुण जी...
केवल परिवर्तन स्थाई ,बाकी सब है काल -बिदाई .सही कहा है आपने डॉ श्याम -केवल परवर्तन ही शाश्वत है .सुन्दर गत्यात्मकता लिए काल सापेक्ष "जय रचना ".
धन्यवाद अनोनीमस जी ...जय हिंद...
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