.. ..कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
राह में दो पल साथ तुम्हारे बीते उनको ढूढ रहा हूँ |
पल में सारा जीवन जीकर फिर वो जीवन ढूंढ रहा हूँ |
उन दो पल के साथ ने मेरा सारा जीवन बदल दिया था |
नाम पता कुछ पास नहीं पर हर पल तुमको ढूंढ रहा हूँ |
तेरी चपल सुहानी बातें मेरे मन की रीति बन गयीं |
तेरे सुमधुर स्वर की सरगम, जीवन का संगीत बन गयीं |
तुम दो पल जो साथ चल लिए,जीवन की इस कठिन डगर में
मूक साक्षी बनीं जो राहें , उन राहों को ढूंढ रहा हूँ |
पल दो पल में जाने कितनी जीवन-जग की बात होगई |
हम तो, चुप चुप ही बैठे थे, बात बात में बात होगई |
कैसे पहचानूंगा तुमको मुलाक़ात यदि कभी होगई |
तिरछी चितवन और तेरा मुस्काता आनन् ढूंढ रहा हूँ |
मेरे गीतों को सुनकर , तेरा वो वंदन ढूंढ रहा हूँ |
चलते चलते तेरा वो प्यारा अभिनन्दन ढूंढ रहा हूँ |
5 टिप्पणियां:
वाह! डॉक्टर साहब
प्यारभरी प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे गीतों को सुनकर , तेरा वो वंदन ढूंढ रहा हूँ |चलते चलते तेरा वो प्यारा अभिनन्दन ढूंढ रहा हूँ |
दिल को छूते हैं आपके शब्द.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
एक पल की स्मृति में छिपा है जीवन भर की प्रसन्नता का रहस्य।
पल में सारा जीवन जीकर फिर वो जीवन ढूंढ रहा हूँ .... khubsurat abhivaykti....
धन्यवाद पांडे जी, राकेश जी ...
स्मृतियाँ बीते पल-छिन की जीवन राग सुना जाती हैं...
धन्यवाद सुषमा जी ..
वो एक पल का हसीं पल भी था क्या पल आखिर,
वो हसीं पल था तेरे प्यार के पल की खातिर |
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