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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शनिवार, 20 अगस्त 2011

अन्ना-शक्ति-भाग १...युवा व महिला शक्ति को सलाम....




                                                                       ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


                 यूं तो लोकपाल बिल पर अन्ना के समर्थन में समस्त देश है  | यद्यपि बढे व अनुभवी लोग सदा ही किसी भी जन आंदोलन की अगुवाई करते हैं परन्तु किसी भी आंदोलन की सफलता के मूल में जब तक युवाओं के शक्ति नहीं होती वह आगे नहीं बढ़ सकता एवं सफलता के भी गारंटी नहीं होती | यह अत्यंत ही हर्ष की बात है कि आज देश का युवा पूर्ण रूप से अन्ना के समर्थन में है ...इससे यह निश्चय ही सिद्ध होता है कि देश का युवा मूलतः भ्रष्टाचार/ अनाचार  के विरुद्ध है परन्तु उसे दिशा दिखाने वाला तो कोई हो , यह  आगे आने वाले समय  के प्रति आशा का शुभ-संदेश है | इसी प्रकार समाज का आधा भाग---स्त्री शक्ति द्वारा , किसी भी आंदोलन या  सामाजिक कार्य में क्रियात्मक योगदान के बिना कोई भी मुहीम सम्पूर्ण नहीं होती ...वह ही तो पुरुष व युवा की मूल प्रेरणा दायी  शक्ति होती है | अन्ना आंदोलन के साथ नारी-शक्ति योगदान एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु है जो निश्चय ही यह संदेश का वाहक है कि अब देश भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिये  तैयार है |
जन रैली
 आशियाना, लखनऊ में अन्ना-रैली
महिला शक्ति
अन्ना के तेवर



                आज युवा व महिलाओं व जन जन के महा समर्थन व सड़क पर आकर स्वतः-भूत  विभिन्न कार्यक्रमों से- हम व जिस पीढ़ी ने स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग नहीं लिया या नहीं देखा बस सुना -पढ़ा ही है  वे अनुमान लगा सकते हैं कि महात्मा गांधी की अगुवाई में एवं  क्रांतिकारियों के समर्थन व सरफरोशी  के उस युग में जन जन की क्रान्ति का यही रूप रहा होगा |  यद्यपि विदेशी शक्ति के विरुद्ध व लाठी-गोली खाना निश्चय ही कठिन रहा होगा परन्तु वास्तविक भावात्मक रूप में अपनों , अपनी सरकार के विरुद्ध लड़ना निश्चय ही कठिन होता है और इसके लिये ...देश की युवा व नारी शक्ति को पुनः पुनः सलाम....|
                         परन्तु यह स्थिति आई ही क्यों ? वास्तव में विश्व के इतने बड़े जन आंदोलन /क्रान्ति की सफलता के पश्चात हम गांधीजी व क्रांतिकारियों के मूल उद्देश्य व राहों को भूल गए और हम हमारी तत्कालीन पीढ़ी व सरकारें आज़ादी के फल खाने में व्यस्त होगई | संस्कृति, देश भक्ति , आचरण, पर हमने युवाओं को कोई दिशा नहीं प्रदान की फलतः देश व समाज अनाचरण व संस्कृति भ्रष्टता व नैतिक पतन  की ओर बढता गया | भ्रष्टाचार तो नैतिक पतन का परिणामी  प्रभाव व  पराकाष्ठा है |
               इस वर्त्तमान अन्ना-जन आंदोलन को  एक प्रकार की दूसरी क्रान्ति या प्रतिक्रांति कहा जासकता है .....और निश्चय ही हम सब चाहेंगे कि इस शुरूआत के पश्चात हम मूल उद्देश्य व भ्रष्टाचार  के मूल कारण -जन जन में व्याप्त अनाचरण, सांस्कृतिक पतन व अकर्मण्यता  को भूल न जायं, जिससे हमें लडने के लिए हमें अभी से कृतसंकल्प रहना है | भ्रष्टाचार समाप्ति तो शुरूआत है ...पर शुरूआत तो हो कहीं से हो ...|

6 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रेरणास्पद पोस्ट है आपकी.
भ्रष्टाचार की लड़ाई एक सम्पूर्ण लड़ाई है.
हमें अपने अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार से भी लड़ाई लड़नी होगी.तभी इस लड़ाई में असली सफलता मिल पायेगी.

आपकी इस पोस्ट और सुन्दर चित्रों के लिए आभार.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.नई पोस्ट जारी की है.
'शिवलिंग' पर अपने विचार भी प्रकट कीजियेगा.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

एकात्म हो, समग्र हो, वही सच्चा विकास है।

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद पांडे जी ...सत्य बचन ...

धन्यवाद राकेश जी...आपका ब्लॉग देखा , देखा क्या अनुभव किया आत्मान्तर्गत किया...उचित टिप्पणी भी है...शिवलिंग पर भी...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 22-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

aaderniy dr shyam ji..pahli baar aapke blog pe aana hua..desh bhati aaur samajik chaitanyat ko badhane wale is tathyaparak privisti ke liye aapko hardik badhayee..apne blog pe bhi aapko nimantran ke sath

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद गाफिल जी ...
--धन्यवाद ड़ा आशू जी ...आपके इमोशंस देखे पढ़े ...बधाई