....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
गणपति गणेश....
तुच्छ जीव है मूषक लेकिन, पहुँच हर जगह है उसकी |
सबका हो कल्याण, ॐ से सजे हस्त से वर देते |
गणपति गणेश....
लम्बी सूंड कान पन्खे से, छोटी छोटी आँखें हैं |
हाथी जैसा सर है जिनका,एकदंत कहलाते हैं ||
मोटा पेट हाथ में मोदक, चूहे की है बनी सवारी |
ओउम् कमल औ शंख हाथ में,माथे पर त्रिशूल धारी ||
ये गणेश हैं गणनायक हैं,सर्वप्रथम पूजे जाते |
तुच्छ जीव है मूषक लेकिन, पहुँच हर जगह है उसकी |
पास रखें ऐसे लोगों को,एसी कुशल नीति जिसकी ||
सूक्ष्म निरीक्षण वाली आँखें, सबकी सुनने वाले कान |
सच को तुरत सूंघ ले एसी, रखते नाक गणेश सुजान ||
बड़े भेद औ राज की बातें, बड़े पेट में भरी रहें |
सबका हो कल्याण, ॐ से सजे हस्त से वर देते |
मोदक का है अर्थ,सभी को प्रिय कहते,प्रिय कर देते ||
अमित भाव-गुण युत ये बच्चो!,रूप अनेकों सजते |
कभी नृत्य-रत,कभी खेल रत,कभी ग्रन्थ भी लिखते ॥
ऐसे सारे गुण हों बच्चो! वे ही नायक कहलाते |
ऐसे सारे गुण हों बच्चो! वे ही नायक कहलाते |
हैं गणेश देवों के नायक,सर्वप्रथम पूजे जाते ||
--सभी चित्र ..साभार..
--सभी चित्र ..साभार..
4 टिप्पणियां:
बहुत बारीक-सी कहन...मन को छूने वाली...
प्यारा बालगीत ...गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें आपको
जय गणेश देवा।
धन्यवाद -- शर्मा जी व पांडे जी.....
धन्यवाद ,डा शरद जी--
मन की क्या है...मन की ही तो बात है बंदे...
मन था सागर सेतु बनाया,
मन था उठा लिया गोवर्धन ....
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